Posted on 14 Apr, 2018 6:40 pm

 

मध्यप्रदेश में किसान अब खेती में नित नये नवाचार करने लगे हैं। परम्परागत खेती को नये तरीकों से उन्नत खेती बनाने में जुट गये हैं। सब्जी-भाजी, विभिन्न प्रकार के फलों और अनाज की खेती में जैविक खाद, बीज, दवा का उपयोग भी तेजी से बढ़ा है। कृषि, पशुपालन एवं उद्यानिकी विभाग की योजनाओं में ड्रिप सिंचाई पद्धति, प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक, पॉली-हाउस और शेडनेट हाउस आदि की सुविधा जुटाकर अब किसान ने खेती को पूरी तरह लाभ का धँधा बना लिया है। अब वह दिन दूर नहीं, जब खेती भी लाभकारी व्यवसाय में अपना महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लेगी।

बालाघाट जिले के लांजी विकासखंड के ग्राम बिंझलगांव के दशरथ बुढ़ानशा को पिछले 10 साल से पुराने तरीकों से खेती करने के कारण कुछ भी लाभ नहीं हो पाता था। जब से इन्होंने उद्यानिकी विभाग की योजना में अनुदान लेकर अपने खेत में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाई है, तब से उनके खेत में टमाटर का बंपर उत्पादन हुआ है। पहले सिंचाई के लिए अधिक पानी लगता था और जमीन अधिक गीली होने से पौधों के साथ ही उसमें लगे टमाटर को भी नुकसान होता था। अब ऐसा नहीं हो रहा है। इस प्रणाली से सीधे पानी के पाइप में उर्वरक का घोल मिला देने से प्रत्येक पौधे की जड़ तक वह पहुँच जाता है।

दशरथ के पुत्र नीलंकठ ने बताया कि अब महाराष्ट्र के आमगांव और गोंदिया के व्यापारी उनके खेत पर आकर टमाटर खरीद कर ले जाते हैं। वे स्वयं भी मोहझरी, लांजी और अन्य स्थानों पर साप्ताहिक हाट बाजार में जाकर टमाटर बेच देते हैं। अब वे अपने खेत में भिंडी, बैगन तथा अन्य सब्जियाँ भी लगाने जा रहे हैं।

शहडोल जिले के जयसिंहनगर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कौआसरई के प्रगतिशील किसान गौरव सिंह को पहले गेहूँ और धान की परम्परागत खेती करने से प्रति एकड़ 12 से 15 हजार रुपये की आमदनी ही होती थी। वर्ष 2016-17 में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क होने पर खेती के आधुनिक गुर सीखे। अधिकारियों ने गौरव को नेट-हाउस के लिये राशि मुहैया करवाई तथा इसके माध्यम से सब्जी की खेती करने की सलाह दी। गौरव सिंह ने रबी सीजन में टमाटर की फसल ली, जिससे लगभग 350 क्विंटल टमाटर का उत्पादन मिला। गौरव ने इसी प्रकार खरीफ सीजन में खीरा, बरबटी की खेती शुरू की, जिससे 3 लाख 75 हजार रुपये की शुद्ध आमदनी हुई। गौरव सिंह ने एक वर्ष में सब्जी की खेती से 8 लाख 25 हजार रुपये की शुद्ध आमदनी अर्जित की। सब्जी की खेती में अच्छी आमदनी होने के कारण इस वर्ष से 2 हेक्टेयर में सब्जी की खेती करना शुरू कर दिया है। उन्होंने अन्य किसानों से भी अपील की है कि सब्जी की खेती कर अच्छी आय अर्जित करें।

शहडोल जिले के ही सोहागपुर विकासखण्ड के ग्राम खेतौली के आदिवासी कृषक लल्लू सिंह ने खेती की आधुनिक तकनीकी अपनाकर खेती को लाभ का धँधा बनाया है। ये आजकल टमाटर, मिर्च, बैंगन की आधुनिक तकनीकी से खेती कर हर सीजन में लगभग सवा लाख रुपये कमा रहे हैं। लल्लू सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सम्पर्क में रहकर खेती की आधुनिक तकनीकी सीखी।

पन्ना जिले के ग्राम जनवार में कृषक लक्ष्मणदास सुखरामनी अपने फार्म में आधुनिक तरीके से मशरूम की खेती कर रहे हैं। इन्होंने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर से आयस्टर मशरूम की खेती के लिये आयस्टर मशरूम के स्पॉन मँगवा कर मशरूम की खेती शुरू की है। कृषक लक्ष्मणदास ने कृषकों को मशरूम की खेती करने की सलाह देते हुए कहा है कि मशरूम एकमात्र ऐसा आहार है, जो प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकता है। यह शरीर की वृद्धि के लिये भी अति-आवश्यक है। साथ ही कुपोषण की समस्या को दूर करता है एवं आमदनी का अच्छा स्रोत भी है।

कृषक लक्ष्मणदास ने उद्यानिकी विभाग के सौजन्य से सात दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त कर छोटे स्त्तर पर मधुमक्खी-पालन भी शुरू किया है। उन्हें इससे आगामी वर्षों में अच्छी आमदनी की आशा है। मधुमक्खी-पालन कम लागत में आमदनी का अच्छा स्रोत है। कृषक लक्ष्मणदास इस सबके साथ ही मिनी शेडनेट हाउस तैयार कर मक्के की हाईड्रोफोनिक (बिना मिट्टी के) खेती भी कर रहे हैं।


सक्सेस स्टोरी (बालाघाट, शहडोल, पन्ना)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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