Posted on 01 Aug, 2018 5:09 pm

मंदसौर जिले में फतेहगढ़ के किसान पवन ठन्ना वर्षों से 10 बीघा जमीन में रासायनिक खाद के माध्यम से परम्परागत खेती करते आ रहे थे। खेती की लागत बढ़ने से इनकी कृषि से होने वाली आमदनी सीमित रह गयी थी। इसकी चर्चा उन्होंने कृषि विभाग के मैदानी अमले से की, तो उन्हें जैविक खेती करने की सलाह मिली। पवन ने अपने खेत में मूँगफली, मूँग, उड़द, मिर्ची, हल्दी और गराडू की फसल लगाई है। अब जैविक पद्धति से कर रहे हैं। जब से उन्होंने जैविक पद्धति से खेती करना शुरू किया है, तब से व्यापारी उनके घर से ही फसल खरीदकर ले जाते हैं और फसल के दाम व्यापारी पवन खुद तय करते हैं।

कृषक पवन की जैविक फसल की मंदसौर ही नहीं, बल्कि इंदौर, भोपाल, मुम्बई एवं नई दिल्ली तक डिमांड रहती हैं। इन्होंने अपने खेत में ड्रिप एरीगेशन की व्यवस्था की है। खेत में जैविक विधि से तैयार खाद का उपयोग कर रहे हैं, जिसकी वजह से खेती की लागत घट गयी है और कृषि उत्पादन बढ़ गया है। इन्होंने अपने खेत के चारों ओर मेड़ लगा रखी है।

फतेहगढ़ के रहने वाले किसान पवन की गिनती क्षेत्र में प्रगतिशील किसान के रूप में होती है। मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था, भोपाल में उनका पंजीयन है। यह संस्था वर्ष में एक बार इनके खेत का निरीक्षण करने आती है और खेत के सारे सेम्पल लेकर उसकी जाँच एवं परीक्षण भी करती है। पवन अपने खेत से निकले घास-फूस और कचरे से नाडेप खाद बनाते हैं। इनकी जैविक खेती देखने क्षेत्र के आसपास के किसान उनके खेत में पहुँचते रहते हैं। पवन इन किसानों को रासायनिक खाद वाली खेती के बदले जैविक खेती अपनाने की समझाइश देते हैं। वे यह भी बताते हैं कि जैविक खेती से कृषि की लागत को घटाकर खेती को लाभ का धँधा बनाया जा सकता है।


सक्सेस स्टोरी (मंदसौर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश