Posted on 19 Nov, 2016 7:58 pm

भोपाल : शनिवार, नवम्बर 19, 2016, 17:24 IST

 

राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स में विश्व धरोहर सप्ताह में 'काँस्य-प्रतिमाओं में शैव परम्परा'' पर लगायी गयी छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने किया। श्री राजन ने प्रदर्शनी कक्ष में लगे छायाचित्रों का अवलोकन भी किया। नि:शुल्क प्रदर्शनी दर्शकों के लिये 25 नवम्बर तक प्रात: 10.30 से 5.30 बजे तक खुली रहेगी।

पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने प्रदर्शनी के पहले दिन ही बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि स्कूल और महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को नियमित रूप से राज्य संग्रहालय का भ्रमण करवाना चाहिये, जिससे वे अपनी गौरवमयी विरासत को जान सकें।

काँस्य-प्रतिमाओं में शैव परम्परा प्रदर्शनी की विशेषता

प्रदर्शनी में भारत की महत्वपूर्ण विरासत काँस्य प्रतिमाओं में से शैव परम्परा की कलाकृतियों का चयन कर उन्हें छायाचित्र के रूप में प्रदर्शित किया गया है। यह कलाकृति प्रथम शताब्दी ईसवी से लेकर 20वीं शताब्दी की है। इनमें गणेश, कार्तिकेय, नन्दी, शिव, सदाशिव, नृत्यरत शिव, वीणाधर शिव, पंचमुखी सदाशिव, शिव दक्षिणामूर्ति आदि महत्वपूर्ण एवं दुर्लभ प्रतिमाएँ हैं। यह प्रतिमाएँ भारत के कई संग्रहालय के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, कम्बोडिया एवं थाईलैंड के संग्रहालयों में प्रदर्शित भारतीय कला की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं। शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश एवं शिव-वाहन नन्दी की दुर्लभ प्रतिमाओं के छायाचित्र विभागीय संकलन, शोध, ग्रन्थ एवं इंटरनेट के जरिये प्राप्त किये गये हैं। प्रदर्शनी शिव परिवार पर केन्द्रित है, इसलिये पार्वती एवं शिव की भार्या के विभिन्न रूप इसमें प्रदर्शित हैं। काँस्य प्रतिमाओं के चित्र बौद्ध, जैन और हिन्दू संस्कृति के अमरत्व, रहस्यों एवं इनके प्रति आकर्षण को प्रभावी ढंग से उजागर करते हैं। काँस्य प्रतिमाओं का इतिहास वस्तुत: एशिया की सिंधु घाटी की सभ्यता से प्रारंभ होना पाया जाता है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश