Posted on 05 Oct, 2018 3:30 pm

 

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा महिला-बाल विकास विभाग के सहयोग से प्रदेश में दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। अभियान में कम वजन और अति-कम वजन के बच्चों तक स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुँचती है। टीम की रिपोर्ट पर फौरी स्वास्थ्य मदद मिलने से इन बच्चों को खुशहाल जीवन मिल रहा है।

पन्ना जिले के सुदूरवर्ती मनकी गाँव के बिटुआ गोंड मझगवां में मजदूरी करते हैं। उनकी तीन माह की बच्ची विनीता का समय-पूर्व जन्म होने से बहुत कम वजन था। दस्तक अभियान में जब आशा कार्यकर्ता बिटुआ के घर पहुँची, तो पाया कि बच्ची को बहुत तेज बुखार है और दस दिन से दस्त लग रहे हैं। बच्ची में खून की अत्यधिक कमी थी। माँ जमुना उसे नासमझी में गाय का दूध पिला रही थी। आशा कार्यकर्ता ने माँ को समझा कर तत्काल 108 के माध्यम से गंभीर रूप से बीमार बच्ची को एनआरसी में भर्ती करवाया। भर्ती के समय विनीता का वजन एक किलो 907 ग्राम और हीमोग्लोबिन 6.2 और अनुपातिक लम्बाई भी सामान्य से कम थी।

विनीता की तत्काल सभी आवश्यक जाँचे नि:शुल्क की गईं। एसएसटी पद्धति से जमुना का इलाज हुआ। बच्ची को माँ का दूध सुनिश्चित कराया गया। इलाज और उचित आहार से बच्ची का वजन धीरे-धीरे सामान्य होता गया। खून की अत्यधिक कमी देखते हुए बच्ची का नि:शुल्क सेल ट्रांसफ्यूजन किया गया। पन्द्रहवें दिन विनीता का वजन करीब 3 किलोग्राम हो गया। आँगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रत्येक 15 दिन में परिवार से भेंट कर बच्ची की जाँच करवाती है। आज विनीता पूरी तरह स्वस्थ हो गई है।

डिण्डोरी जिले के ग्राम खाम्हा के रामेश्वर और अनुपम की 17 माह की बेटी पल्लवी जन्म से ही काफी कमजोर थी। ज्यों-ज्यों बड़ी होती जा रही थी, त्यों-त्यों उसका स्वास्थ्य गिरता जा रहा था। माता-पिता बहुत चिंतित थे। ऐसे में आँगनबाड़ी कार्यकर्ता जयंती बाई ने पल्लवी को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराने कीसलाह दी। केन्द्र में भर्ती कराने के बाद इलाज और उचित पालन-पोषण से पल्लवी का वजन कुछ दिन में 6 किलो 700 ग्राम से बढ़कर 7 किलो 190 ग्राम हो गया। अभी उसका उपचार चल रहा है। दिनों दिन उसके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा है।

बैतूल जिले के टिकरी निवासी हरिओम-साधना के 11 माह के बेटे प्रफुल्ल का वजन मात्र 5 किलो 700 ग्राम था। आँगनबाड़ी कार्यकर्ता ने माता-पिता को जिला चिकित्सालय के पोषण पुनर्वास केन्द्र में 14 दिनों के लिये प्रफुल्ल को भर्ती कराने के लिए राजी किया। अस्पताल से छुट्टी के वक्त प्रफुल्ल का वजन करीब 7 किलो हो गया। पालन-पोषण की जानकारी मिलने के बाद अब प्रफुल्ल का वजन और स्वास्थ्य निरंतर बढ़ रहा है।

 

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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