Posted on 26 Sep, 2017 8:44 pm

 

हिम्मत और मन में कुछ कर गुजरने का ज़ज़्बा हो तो विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल बनाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बालाघाट जिले की तबस्सुम खान और अमिता धुवारे ने।

इंदिरा नगर बालाघाट की 30 वर्षीय तबस्सुम खान का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा। गरीब परिवार में जन्मी तबस्सुम के पिता श्री अतीक खान मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते थे। तबस्सुम ने 12वीं तक पढ़ाई की और 19 वर्ष की आयु में उसका निकाह हो गया। परिवार में होने वाली रोज-रोज की अनबन से तबस्सुम परेशान हो गयी और इस परेशानी को दूर करने के लिये अपने पति से तलाक ले लिया। इसके बाद तबस्सुम ने प्रायवेट तौर पर बी.ए. किया और उनका चयन आँगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में हुआ। तबस्सुम महिला-बाल विकास विभाग में ही ऊँचे पद पर कार्य करना चाहती थी। उन्होंने विभाग में पर्यवेक्षक पद के लिये पीईबी के जरिए परीक्षा दी। आज वे लगन और कठिन परिश्रम से आँगनवाड़ी पर्यवेक्षक के पद पर चयनित होकर कार्य कर रही हैं।

ऐसी ही कुछ कहानी बालाघाट की अमिता धुवारे की भी है। अमिता पहले आँगनवाड़ी कार्यकर्ता बनकर अपने गरीब परिवार का सहारा बनीं। इसके बाद उनकी शादी भी हुई। परिवार में होने वाली अनबन उनके जीवन की कठिनाई बन गयी। उन्होंने भी तलाक लेकर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी। एम.ए. तक शिक्षित होने के बाद उन्होंने आँगनवाड़ी पर्यवेक्षक के लिये परीक्षा दी। पीईबी की परीक्षा में उन्हें सफलता मिली। आज वे आँगनवाड़ी पर्यवेक्षक के रूप में कार्य कर रही हैं। इन दोनों महिलाओं की सफलता अन्य महिलाओं के लिये भी अब प्रेरणा बन गयी है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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