Posted on 16 Aug, 2017 6:29 pm

भोपाल : बुधवार, अगस्त 16, 2017, 18:19 IST
 

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने भारत आसियान यूथ समिट में एशियन्निज्म को पुनर्स्थापित करने के लिए 11 देशों के प्रतिनिधियों को बधाई देते हुए कहा है कि ऐतिहासिक कारणों से औपनिवेशिक विस्तार के चलते हमारी यह पहचान खो गई थी। इसे 70 साल की संक्षिप्त अवधि में पुनर्स्थापित करना प्रशंसनीय है। भोपाल में विदेश मंत्रालय, मध्यप्रदेश शासन तथा इंडिया फाउण्डेशन द्वारा आयोजित समिट में भारत सहित थाईलैंएड, इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलिप्नस, मलेशिया, सिंगापुर, म्यानमार, कम्बोडिया, लाओस तथा ब्रुनेई के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि एशिया विश्व में अध्यात्म और मानवता का स्त्रोत रहा है। हम ऐसे समय में रह-रहे हैं जब परिस्थिति वश विश्व पश्चिम से पूर्व की ओर केन्द्रित होता जा रहा है। हमें एशियन गरिमा को अभिव्यक्त करने और अपनी राष्ट्रीय पहचान सशक्त करने के लिये संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है। श्रीमती चिटनिस समिट में पालिटी एण्ड गवर्नेंस विषय पर सत्र को संबोधित कर रही थीं। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि जवाबदेही, पारदर्शिता, जन-भागीदारी बेहतर पालिटी और गवर्नेंस के मुख्य आधार हैं। उन्नति, आशापूर्ण वातावरण और परिवर्तनशीलता, प्रगतिशील गवर्नेंस के द्योतक है। उन्होंने कहा कि उददेश्य की स्पष्टता और मिशन मोड में कार्य करने की क्षमता से ही परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा समय-सीमा निर्धारित करते हुए विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन से वर्ष 2022 तक देश प्रगति के ऊँचे पायदान पर होगा।

समिट में आसियान देशों की संस्कृति और सभ्यता के क्षेत्र में परस्पर संबंधों पर चर्चा हुई। नालन्दा विश्वविद्यालय की वाइस-चान्सलर प्रो. सुनयना सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस परिचर्चा में एडीजी प्रशासन पुलिस मुख्यालय भोपाल श्रीमती अनुराधा शंकर सिंह ने आसियान देशों की स्थानीय सभ्यता और पहचान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं और जीवन पद्धति को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिये पहल करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि एक ही धर्म के अनुयायियों की धार्मिक पद्धतियों का स्वरूप स्थानीय स्तर पर पृथक-पृथक होता है। यह भिन्नता स्थानीयता की विलक्षणता की अभिव्यक्ति है। श्रीमती अनुराधा शंकर ने कहा कि भारत हो या इंडोनेशिया, दक्षिण पूर्व के सभी देशों में भिन्नता को सम्मान दिया है। जोकि इन देशों के निवासियों के विचार की विशालता का प्रमाण है।

सत्र में से आये पाली भाषा के विशेषज्ञ डॉ. रामनिवास और इंडोनेशिया के डॉ. मूलचन्द गौतम ने भी अपने विचार रखें। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार श्री संजीव सान्याल ने कहा कि आसियान देशों के उपनिवेशवाद के दौर में साम्राज्यवादी देशों द्वारा अपने हितों की सुरक्षा के लिये जिस तरह से इन देशों की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को लिखा गया और बताया, वह पूरी तरह सही नहीं है। आज जरूरत है यह देश अपनी सभ्यता और संस्कृति से खुद को जोड़ते हुए इसकी व्याख्या करें। सत्र में भारत तथा आसियान देशों में ऐतिहासिक रूप से विकसित हुए व्यापारिक, राजनैतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक संबंधों पर विस्तार से चर्चा हुई।

इसके साथ ही यू.एन. के सतत विकास लक्ष्यों पर भारत ने यूनीसेफ की प्रतिनिधि डॉ. यासमीन अली हक के सभापतित्व में, नवाचार तथा उद्यमिता पर इंडिया फाउण्डेशन के संचालक श्री शौर्य डोवाल तथा डिजिटल तथा आईटी कनेक्टिविटी पर माईक्रोसाफ्ट रिसर्च इंडिया के वरिष्ठ निदेशक डॉ. विद्या नातमपल्ली के सभापतित्व में सामान्तर समूहों में चर्चा हुई। समिट में दोपहर बाद मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा प्रदेश की पर्यटन नीति और पर्यटन क्षेत्र पर तथा आयुक्त इंदौर नगर निगम ने स्वच्छता पर और भोपाल नगर निगम ने स्मार्ट सिटी पर प्रेजेन्टेशन दिया गया।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश