Posted on 30 Dec, 2017 3:26 pm

देवास जिला के ग्राम भमोरी के किसान गोवर्धन पाटीदार अपनी दो बीघा जमीन पर एप्पल बेर की खेती से सालाना दो लाख रुपये से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। यह मुनाफा उनके द्वारा पहले परम्परागत गेहूँ और सोयाबीन की खेती से मिल रहे फायदे की तुलना में तीन गुना अधिक है। गोवर्धन ने अपने खेत में एप्पल बेर के 500 पौधे लगाये हैं। करीब डेढ़ साल पहले लगाये इन पौधों की हाइट वैसे तो 3-4 फीट ही है, लेकिन इनमें फल आने लगे हैं। पौधों में फल इतने अधिक हैं कि ये जमीन तक लटक रहे हैं। ये फल अब पक गये हैं। थोक बाजार में इन बेर की कीमत 30 से 35 रुपये प्रति किलो है। शुरूआत में एक पौधे से 100 किलो तक एप्पल बेर मिलने की उम्मीद है। इस तरह पूरे खेत से करीब डेढ़ से पौने दो लाख रुपये के एप्पल बेर प्राप्त होंगे। एप्पल बेर के पौधों को पानी पिलाने के लिये गोवर्धन ने खेत में ड्रिप सिस्टम भी लगवाया है।

सर्दी के मौसम में खट्टे-मीठे बेर हर व्यक्ति को अच्छे लगते हैं। देसी बेर के पेड़ तो क्षेत्र में बहुत हैं, लेकिन अब विदेशी एप्पल बेर ने दस्तक दी है। इनका आकार कुछ-कुछ छोटे एप्पल (सेब) के समान ही है। स्वाद भी लगभग सेब जैसा ही है। यही कारण है कि अब क्षेत्र में इस प्रजाति के बेर की खूब खेती होने लगी है।

गोवर्धन पहले सोयाबीन और गेहूँ की खेती ही करते थे। सोयाबीन लगभग 12 क्विंटल ही होता था जिसे मण्डी में बेचने पर सामान्य रूप से 30 हजार रुपये ही मिलते थे। गेहूँ भी लगभग 30 क्विंटल होता था और बेचने पर लगभग 45-47 हजार रुपये ही हाथ में आते थे।

एप्पल बेर को बेचने पर डेढ़ से पौने दो लाख रुपये साल मिलने की उम्मीद जागी है। शुरूआती साल में एप्पल बेर के पौधों से 10 किलो का उत्पादन होगा। जैसे-जैसे पौधा बढ़ेगा, वैसे-वैसे उत्पादन भी बढ़ेगा। एक पेड़ अनुमानित तौर पर 12 साल तक फल देता है। इस तरह एप्पल बेर से हर साल आय भी बढ़ती रहेगी। गेहूँ-चने में उत्पादन सीमित होता है और भाव भी अधिक नहीं बढ़ते। एप्पल बेर का आगामी वर्ष में एक सीजन में एक पौधा करीब 20 किलो तक उत्पादन देगा।

 सफलता की कहानी (देवास)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश