Posted on 11 Sep, 2018 1:33 pm

 

प्रदेश में विभिन्न स्तर और समान स्तर की शालाओं को एक करते हुए एक शाला के रूप में संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। ऐसी शालाएँ एक परिसर-एक शाला के रूप में संचालित होंगी। एक परिसर-एक शाला के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तरीय समिति के गठन किये जाने के निर्देश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जिला कलेक्टर्स को दिये गये हैं।

जिला स्तरीय समिति कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित होगी। समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण, प्राचार्य डाईट और जिला परियोजना समन्वय को शामिल किया गया है। समिति निश्चित समय-सारणी के अनुसार कार्य करेंगी। एकीकृत शाला के लिए स्टॉफ कक्ष और भण्डार कक्ष की व्यवस्था 20 सितम्बर तक की जायेगी। एकीकृत शाला की प्रबंध परिषद की साधारण सभा कार्यकारिणी का गठन 28 सितम्बर तक, प्रबंध परिसर की साधारण सभा की पहली बैठक 29 सितम्बर और एकीकृत बैंक खाते की व्यवस्था एक अक्टूबर तक किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

प्रदेश में एक परिसर-एक शाला के क्रियान्वयन से मानव एवं भौतिक संसाधनों का अधिकतर उपयोग हो सकेगा। इसके साथ ही शिक्षकों की आवश्यकता में भी कमी आयेगी और व्यय पर नियंत्रण हो सकेगा। प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 224 विकासखण्डों में संचालित 34 हजार 997 स्कूलों को एकीकृत करने पर एकीकृत स्कूलों की संख्या 15 हजार 961 हो जायेगी। एकीकृत स्कूलों में से 11 हजार 894 स्कूलों का प्राथमिक से माध्यमिक तक, 1378 स्कूलों का प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल तक और 784 स्कूलों का कक्षा पहली से लेकर कक्षा 12वीं तक एकीकृत किया जायेगा। शाला परिसर में वर्तमान में कोई शाला किसी महापुरूष के नाम से संचालित है तो एकीकृत शाला का नामकरण उन्हीं के नाम पर रखे जाने के निर्देश दिये गये है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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