Posted on 02 Nov, 2016 7:47 pm

भोपाल : बुधवार, नवम्बर 2, 2016, 18:35 IST
 

महात्मा गांधी नरेगा की कपिलधारा उप योजना में एक एकड़ से ढ़ाई एकड़ तक के भू-धारकों को ''कुंआ-खेत तालाब'' का संयुक्त लाभ मिलेगा। अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास श्री आर.एस. जुलानिया ने सभी जिला कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को इस संबंध में निर्देश जारी किये हैं।

हितग्राहियों का चयन प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा। इसमें पहली प्राथमिकता विधवा एवं परित्यक्ता महिला, अनुसूचित जाति/जनजाति को तथा इसके बाद अन्य भू-धारकों को योजना का लाभ मिलेगा। जिन भू-धारकों को सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। खेत तालाब 400 घनमीटर जल-संरक्षण क्षमता का बनाना होगा। खेत तालाब और कुंआ बनाने के समय निकलने वाली मिट्टी का उपयोग खेत को समतल बनाने तथा मेढ़ बंधान में किया जायेगा। कूप निर्माण गोलाकार होगा जिसका व्यास 5 मीटर और गहराई 12 मीटर होगी। इसके अलावा लागत सीमा के भीतर अधिक गहराई कराने के लिए हितग्राही स्वतंत्र होगा। हितग्राही कुंआ बनाने के लिए सामग्री मद से मशीन से बोरिंग करा सकता है। कुंआ खुदाई के बाद कुंआ बंधान के लिए आधार कठोर पत्थर पर आरसीसी की बीम डालकर निर्माण करना होगा। कुंए की मुंडेर की चौड़ाई 30 से 40 सेमी तथा ऊँचाई 75 सेमी होना जरूरी होगा। कुंए के बाहरी हिस्से में न्यूनतम एक मीटर की जगत बनाना होगी।

खेत तालाब और कूप निर्माण को जोड़ना

कपिलधारा कूप के साथ खेत तालाब का भी लाभ हितग्राही को मिलेगा। खेत के उपरी हिस्से में खेत तालाब तथा निचले हिस्से में कुंए का निर्माण करवाया जायेगा, जिससे खेत तालाब से प्रवाहित जल कुंए में इकट्ठा हो सके। खेत तालाब से कुंए तक पानी के प्रवाह के बीच में पाइप डालना होगा तथा कुएं के समीप उसे बोल्डर, रेत से फिल्टर करना होगा। इसके लिए कार्य-स्थल का चयन हितग्राही की पसंद से होगा। इसमें भू- जलविद की भी सहायता ली जा सकेगी। कूप तथा खेत तालाब निर्माण की एजेंसी हितग्राही भी हो सकता है। यदि हितग्राही आजीविका मिशन के समूह का हितग्राही है, तो वह समूह की एजेंसी होगा। अन्य परिस्थितियों में ग्राम पंचायत निर्माण एजेंसी होगी।

कुंआ, खेत तालाब की लागत 2 लाख 30 हजार रूपये निर्धारित की गयी है। इसमें एक लाख 15 हजार मजदूरी के लिए और 1 लाख 15 हजार सामग्री पर खर्च किए जा सकेंगें। कपिलधारा कूप में हितग्राही मेट का कार्य करेगा। मजदूरी भुगतान के मस्टर रोल जारी होंगे तथा सामग्री की राशि हितग्राही के खाते में सीधे जमा करवायी जायेगी।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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