Posted on 22 May, 2018 5:00 pm

 

प्रदेश में किसान परम्परागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों की खेती से अप्रत्याशित लाभ कमा रहे हैं। राज्य सरकार भी किसानों को उद्यानिकी फसलों के लिये प्रोत्साहित कर रही है।

फूलों की खेती से अतिरिक्त आमदनी : नीमच जिले में ग्राम हनुमंतिया के किसान प्रहलाद धाकड़ वर्षों से चना, गेहूँ, सोयाबीन, मक्का आदि की परम्परागत तरीके से खेती कर रहे थे। इससे ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता था। प्रहलाद ने जब अपनी परेशानी के बारे में क्षेत्र के उद्यानिकी अधिकारियों से बात की, तो उन्हें खेत में मिनी स्प्रिंकलर लगाने की सलाह मिली। खेत में मिनी स्प्रिंकलर लगा कर प्रहलाद ने शुरू में अपने खेत में लहसुन लगाया, तो 230 क्विंटल लहसून का उत्पादन हुआ। उत्साहित प्रहलाद ने इसके बाद नीबू लगाया। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने इन्हें खेत में गुलाब की खेती करने की सलाह भी दी। इस तरह प्रहलाद ने पूरी तरह उद्यानिकी फसलों की तरफ रूख कर लिया। अब उद्यानिकी फसलों से अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं।

प्रहलाद ने अपने खेत में स्ट्रॉबेरी और स्वीट कार्न भी लगाया। इसके लिये इन्होंने मल्चिंग और ड्रिप सिस्टम का उपयोग किया। आज प्रहलाद धाकड़ की अपने क्षेत्र में प्रगतिशील किसान के रूप में पहचान होती है। इन्हें उद्यानिकी फसलों के लिये सर्वश्रेष्ठ कृषक का पुरस्कार भी मिला है। अब इन्होंने अपने खेत में 5 एच.पी. का सोलर पैनल लगवा लिया है।

लाभकारी सिद्ध हो रही अन्तरवर्ती फसलें : विदिशा जिले के किसान बड़ी तेजी से आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। इसकी वजह परम्परागत फसलों के उत्पादन में गिरावट होना बताया जा रहा है। कृषि विभाग के मैदानी अमले ने इन किसानों को खेतों में अंतरवर्ती फसल पद्धति अपनाने की सलाह दी है।

गंजबासौदा के जवाहर सिंह ने खरीफ में सोयाबीन (आरबीएस-2001-04)+ अरहर (राजीव लोचन) लगाया। इन्हें 17 क्विंटल सोयाबीन मिला। रबी में अरहर (राजीव लोचन)+ गेहूँ (एचआई-1544) लगाया था जिसमें इन्हें करीब 13 क्विंटल अरहर का उत्पादन एवं 40 क्विंटल गेहूँ का उत्पादन प्राप्त हुआ है।

पहले कृषक जवाहर सिंह को दो एकड़ में 28 क्विंटल गेहूँ मिलता था। अंतरवर्ती फसल पद्धति अपनाने के कारण अब 40 क्विंटल गेहूँ मिल रहा है। अंतरवर्ती फसल पद्धत्ति ने किसानों को मुनाफा कमाने की नई राह दिखा दी है।

सक्सेस स्टोरी (नीमच, विदिशा)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश