Posted on 04 Apr, 2018 3:07 pm

 

बालाघाट जिला प्रदेश में परम्परागत रूप से धान की खेती के लिये पहचाना जाता है। पिछले कुछ वर्षों से यहाँ के किसानों ने भी उद्यानिकी फसलों में रूचि लेना शुरू कर दिया है जिन किसानों ने धान के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों को अपनाया है, वे अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं।

लांजी तहसील के ग्राम बेनेगाँव के किसान राजेन्द्र बुढ़ावने पिछले कुछ सालों से टमाटर की खेती कर रहे हैं। वे बताते हैं कि जब उन्होंने टमाटर की खेती शुरू की तो पहले वर्ष उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले से इसकी चर्चा की। उन्हें अपने खेत में ड्रिप एरीगेशन को अपनाने की सलाह मिली। किसान राजेन्द्र को ड्रिप एरीगेशन सिस्टम लगाने के लिये राज्य सरकार की योजना में अनुदान का लाभ भी मिला। उन्होंने अपने खेत में धान की फसल के बाद टमाटर की फसल और 30 डिसमिल कृषि भूमि में बैंगन की फसल लगाई। उनके खेत में पैदा हुआ टमाटर महाराष्ट्र के गोंदिया और आसपास के क्षेत्र में खूब बिका है। उनके परिवार के सदस्य इंटरनेशनल हॉर्टीकल्चर इंस्टीट्यूट में 4 दिवसीय प्रशिक्षण भी ले चुके हैं। उद्यानिकी फसल में मिली सफलता को वे आसपास के गांव के किसानों से भी साझा करते हैं।

 छतरपुर जिले के बमनौराकलां के किसान अनंतराम लोधी लम्बे अरसे से परम्परागत खेती करते आ रहे हैं। खेती में सीमित आमदनी और बढ़ते परिवार ने उनकी चिंता बढ़ा दी थी। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के कर्मचारियों से इस बात की चर्चा की ।

किसान अनंतराम को ड्रिप सिंचाई और प्लास्टिक मल्चिंग की उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने 56 हजार रुपये की लागत से ड्रिप एरीगेशन सिस्टम लगवाया। इस लागत की आधी राशि उन्हें सब्सिडी के रूप में मिल गई। नई तकनीक से उन्होंने अपनी एक एकड़ भूमि में बैंगन, टमाटर और पपीता लगाया। इससे उन्हें करीब डेढ़ लाख रूपये का मुनाफा हुआ जबकि उन्होंने केवल 50 हजार रुपये खर्च किये थे। मुनाफे से उत्साहित किसान अनंतराम ने प्याज भण्डार-गृह निर्माण करवाया है जिसके लिये उन्हें उद्यानिकी विभाग से 50 प्रतिशत अनुदान भी मिला है। आज उनकी पहचान अपने क्षेत्र में प्रगतिशील किसान के रूप में हो रही है।

सक्सेस स्टोरी (बालाघाट, छतरपुर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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