Posted on 24 Apr, 2018 12:45 pm

 

किसानों के  अथक और लाभकारी सरकारी योजना उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में उज्जैन संभाग प्रदेश में अग्रणी हो गया है।डेढ़ दशक पहले यहाँ उद्यानिकी फसलों का रकबा मात्र 11 हजार 130 हेक्टेयर था, जो बढ़कर पिछले साल साढ़े पैंसठ हजार हेक्टेयर से भी अधिक हो गया है।  उद्यानिकी फसलों का उत्पादन भी 90 हजार मैट्रिक टन से बढ़कर 9 लाख 3 हजार 151 मैट्रिक टन तक पहुँच गया है। उद्यानिकी फसलों में आमतौर पर यहाँ संतरा, अमरूद, लहसुन, प्याज, इसबगोल और मौसमी सब्जियाँ की फसलें शा‍मिल हैं।

फसलवार प्रगति के तुलनात्मक अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि उज्जैन संभाग में फलों एवं मसालों की फसलों में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। इससे यहाँ के किसान आर्थिक रूप से सशक्त हो गये है।

उज्जैन जिले के ग्राम ढावलाहर्दू तराना के किसान बजे सिंह सोलंकी ने वर्मी कम्पोस्ट के पिट पर प्याज के पौधे तैयार किये। इन पौधों को अपने खेत में लगाया, तो बम्पर उत्पादन मिला। इनकी देखा-देखी अन्य किसान भी इस नई तकनीक से प्याज का उत्पादन कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं।  कृषक बजे सिंह पहले रासायनिक खाद और कभी-कभी गोबर की कच्ची खाद भी खेत में डाला करते थे। इससे खेत में दीमक, फफूंद और खरपतवार का डर बना रहता था। इस समस्या से निपटने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर इन्होंने वर्मी कम्पोस्ट तैयार करना प्रारंभ कर दिया। सोयाबीन और अन्य फसलों में इस तकनीक का इस्तेमाल करने से इन्हें आश्चर्यजक सुखद परिणाम मिल रहे हैं। इस तकनीक से कृषक बजे  सिंह के खेतों में प्रति-बीघा सोयाबीन की उपज डेढ़ गुना बढ़ गई है। रासायनिक खाद पर लगने वाला तकरीबन 8 हजार रुपये प्रति-बीघा का खर्चा भी बच गया है। आज बजे सिंह वर्मी कम्पोस्ट से बनने वाले खाद की बिक्री से खेती के अलावा भी अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं। बजे सिंह आसपास के करीब 30 ग्रामों के किसानों को भी इस तकनीक का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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