Posted on 29 Sep, 2018 7:04 pm

 

'आर्डिनरी पीपुल-एक्स्ट्राआर्डिनरी ड्रीम' की थीम लाइन पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भोपाल में आयोजित किये गये स्टार्ट-अप कॉनक्लेव में आए प्रदेश के युवा उद्यमियों ने य‍ह सिद्ध कर दिया है, 'स्टेण्ड अप इण्डिया' की तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार के 'स्टार्ट-अप एम.पी.' में युवा पीढ़ी नयी-नयी सोच और नवाचारों द्वारा अपने लिए एक व्यावसायिक संस्थान स्थापित करने के लिए आगे बढ़ रही है। युवा उद्यमी मानते हैं कि मध्यप्रदेश में पिछले 15 वर्षों में राज्य शासन की औद्योगिक, व्यापारिक, और व्यावसायिक नीतियों को बिजनिस ओरिएन्टेड बनाया गया है। प्रदेश में व्यापार के लिए सुरक्षित वातावरण निर्मित हुआ है। इसी कारण युवा नौकरी के स्थान पर व्यापार की ओर बढ़ रहे है।

स्मार्ट शहर में स्मार्ट फार्मिंग:- भोपाल शहर के सुयश द्विवेदी, स्वनेल करमवेलकर और सुधीर जैन तीनों ही इंजीनियर हैं। उनका मत है कि जमीन की घटती मात्रा-बढ़ते शहर में स्मार्ट फार्मिंग को प्रमोट करें। ये युवा पिछले तीन वर्षों से वर्टिकल फार्मिंग कर रहे हैं। इसमें सब्जी का उत्पादन स्टैण्ड के माध्यम से वर्टिकल स्टैण्ड बना कर किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में ध्यान रखा जाता है कि प्रत्येक फसल को कितना सन लाइट की जरूरत है, कितना न्यूट्रिशन की जरूरत है, जो पानी के साथ पौधे की ग्रोथ करता है। इस प्रक्रिया में यह भी मोनीटर कर सकते हैं कि आगे आने वाले समय में यह पौधा कितना उत्पादन देगा। इसके लिए इन युवा उद्यमियों द्वारा एक सफ्टवेयर 'एल्ववोरिजम' भी बनाया है। इनका मानना है कि वर्टिकल फार्मिग भविष्य का भरोसा है।

इनवोटेक सागर के एस.ए.आई.टी. कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में डिग्री कोर्स कर रहे मित्र असीम जोहरी और अंकित शिवदेशानी ने प्लाटन की ग्रोथ मॉनिटिरिंग की एक मशीन इजाद की है, जो एक प्लाट से कनेक्ट कर फसल के लिए मिट्टी फर्टीलाइजर, वेदर कंडीशन का अध्ययन कर कृषक को बताएगी कि उसे कितने कि फर्टीलाइजर न्यूट्रेशन की कितनी जरूरत है। उनका दावा है कि यह पद्धति किचिन गार्डर्निंग में बहुत उपयोगी है। अभी इनकी टीम ऑनलाइन सर्विस ग्राहकों को उपलब्ध करवा रही है। इनका कहना है कि स्टार्ट-अप से जुडकर उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म मिला है।

खादी-जी प्रदेश के बुनकरों को दे रही नयी पहचान: निफ्ट से फैशन डिजाइनिंग करने के बाद अपने सा‍थियों के साथ परम्परागत खादी के स्थान पर सोया-खादी, बैम्बू खादी जैसा प्रोडेक्शन कर खादी को खादी-जी के रूप में नई-पहचान दे रहे है। भोपाल की उमंग ने जया सिंह, रिचा शर्मा, नीलम जैन, शुभम नटवाल, नीरू, तन्या की टीम द्वारा यह काम 2017 से प्रारंभ किया है। उमंग का कहना है कि अभी हम लोग बैम्बू (बॉस) का धागा बैंगलोर, सोया धागा बाडमेर (राजस्थान), काटन धागा (गुजरात) से मगाँकर स्वयं डिजाइन बनाते हैं। इसमें खादी की बुनाई का काम महेश्वर और जौरा के महिला बुनकर समूहों के माध्यम से कराते हैं। उनका प्रोडेक्ट सामान्य खादी से अलग होने के कारण कुछ अलग लुक देता है। उनके पास 50 लाख से एक करोड़ रुपये तक के एक्सपोर्ट आर्डर हैं। उन्हे रिलायंस ग्रुप से भी आर्डर मिला है। उमंग और जया का कहना है कि स्टार्ट-अप और स्टेण्ड-अप इंडिया नव उद्यमियों के लिए बेहतर प्लेटफार्म है। इस तरह के आयोजन नियमित अंतराल पर होना चाहिए।

एस.एन.ए. सिस्टेक कहीं भी से भी नियंत्रित होंगे इलेक्ट्रिकल उपकरण :- आशीष मिश्रा कम्प्यूटर साइंस इंजिनियरिंग 4th वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने पिता के साथ 'स्मार्ट स्विच' डेवलप किया है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से 20 लाख रूपये ऋण लेकर इसका व्यावसायिक उत्पादन कर रहे हैं। इस स्वीच प्रणाली में घर के परम्परागत बिजली स्विच बोर्ड के स्थान पर इनका उपयोग किया जाता है। इसकी लागत 10 हजार रूपये आती है। यह स्पीच वॉइस (आवाज) से भी नियंत्रित होते हैं। इसमें आवाज से ही एसी, पंखा, कूलर बंद कर सकते हैं। आशीष के बनाये स्मार्ट स्विच अभी भोपाल स्मार्ट सिटी के बी-नेस्ट इनक्यूबेशन सेंटर में भी लगाए गये हैं।

कस्टमर की माँग के अनुसार बनाते है साईकल:- भोपाल शहर के ही युवा उद्यमी वरूण और निखिल जाधव स्वयं बाइकर्स हैं। उनका कहना है कि मार्केट में उपलब्ध प्रत्येक साइकल प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से नहीं होती। उनकी कम्पनी 'बाइकर्स प्राइड' आन आर्डर व्यक्ति की उम्र, वजन, स्वास्थ्य के अनुसार सायकल बना कर देती है, जो यह बैटरी चलित और मानव चलित भी हैं। वर्तमान में भोपाल शहर में 20 ग्राहक हैं, जिन्होंने अपनी सायकल इनसे बनवाई और नियमित सेवा ले रहे हैं। साईकल की कीमत 9 हजार से 40 हजार रुपये तक आती है। उन्होंने अभी अपनी पूँजी से ही काम स्टार्ट किया है। व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन के लिए उन्हें 2 करोड़ रुपये की जरूरत होगी, जो उन्हें स्टार्ट-अप और बी-नेस्ट से मिलने की उम्मीद है।

आरमोहर इनसैक्ट सीड शर्ट:- एम.बी.ए. करने के बाद 7 वर्ष प्राइवेट  क्षेत्र में नौकरी करने वाली इंदौर की श्रेष्ठा ने अपने कॉटन क्लाथ मेन्यूफेक्‍चरिंग के पारिवारिक व्यापार में प्रवेश किया है। उनका दावा है कि उनकी कपंनी देश की पहली कंपनी है, जो बच्चों और बड़ों के लिए मास्कवीटो फ्री कपड़े बनाती है। इन कपड़ों के पहनने के बाद कीड़े-मकोडों जैसे मच्छर, कॉकरोच, खटमल, जूँ से बचने के लिए किसी भी प्रकार की दवा अथवा लेप के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होती क्योकि ये कपडे बनाने से पहले ही कपडे का केमिकल ट्रीटमेंट कर देते हैं। इनके बनाए कपड़े विशेषकर छोटे बच्चों, मेडिकल अथवा सफाई के क्षेत्र में तथा जवानों के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं। अभी इन्होंने अपने स्तर पर लगभग 50 लाख रूपये लागत से यह व्यापार शुरू किया है। स्टार्ट-अप में बहुत उम्मीद से सम्मिलित हुई हैं। इसे एक अच्छा प्लेटफार्म बता रही हैं।

 स्मार्ट टायलेट लू-टेल:- यशवंत सुथार द्वारा स्थापित यह कंपनी सोसायटी को भी क्लीन, ड्राई, हाईजैनिक, टायलेट उपलब्ध करने के लिए नवाचार कर रही है। उन्होंने इंदौर शहर में दो स्थान राजवाड़ा और चार्टर बस सेवा के स्टेण्ड पर नगर निगम से प्राप्त लीज की जमीन पर यह कार्य प्रारंभ किया है। लू-टेल के टायलेट में कैफेटेरिया भी है। इनका टायलेट यूज करने वालों को 10 रूपये देना होता है। इसके एवज में कंपनी एक कूपन इतनी राशि का ही ग्राहक को वापस कर देती है। इस कूपन से ग्राहक उनके कैफे से कोई भी खाने की साम्रगी क्रय कर सकता है।

भोपाल की कैफीन-फ्री चाय:- भोपाल के प्रदीप करमेलकर और योगेश साहू की कैफीन-फ्री चाय, चाय पीने वालों के लिये खुशखबरी है। उनका कहना है कि उनकी चाय में परम्परागत चाय के स्थान पर 60 से 70 प्रतिशत तक कम कैफिन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। उनके इस नावाचार को भोपाल में बहुत लोकप्रियता मिल रही है। ऑनलाइन चाय के आर्डर लेते हैं। वर्तमान में न्यू मार्केट में आपूर्ति के पास सेल काउंटर भी बनाया है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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