Posted on 23 Jul, 2021 7:53 pm

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी का आचरण बहुत महत्वपूर्ण होता है। आमजन के साथ घुल मिलकर अपनेपन के साथ दिल-दिमाग को खुला रख कर किया गया संवाद ही प्रभावी होता है। भाषा शैली ऐसी होना चाहिए, जिसमें आत्मीयता हो। बात सामने वाले को समझ आए। उन्होंने कहा कि जो सुख पैसे से खरीदें जाते हैं, वह भौतिक सुख प्रदान करते है। आत्मिक सुख खरीदा नहीं जा सकता। वह सेवा कार्यों से ही मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी से जनता की बहुत अपेक्षाएँ है। अधिकारी का संवेदनशील होना बहुत जरुरी है।

श्री पटेल आज भारतीय प्रशासनिक सेवा के मध्यप्रदेश संवर्ग के अधिकारियों से राजभवन में चर्चा कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री डी.पी. आहूजा भी उपस्थित थे।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि प्रशासनिक सेवा किसी की मदद से मिलने वाली खुशी के अनुभवों और विकास के नये आयाम कायम करने का सुअवसर है। यह चुनौतीपूर्ण और जवाबदेह जिम्मेदारी है। उन्हें सुशासन एवं लोक सेवाओं की गुणवत्ता के लिये व्यवस्थाओं को उत्तरदायी, जवाबदेह और पारदर्शी, बनाने के साथ ही मैदानी चुनौतियों के साथ स्वच्छ एवं संवेदनशील प्रशासक की भूमिका का निर्वाह करना है। जनता से सीधे जुड़े  कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार दिल-दिमाग को खुला रखकर कार्य करें।  उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपनी विशेषज्ञताओं और प्रतिभा का लाभ समाज को देने का अवसर मानकर कार्य करें। कार्य का लक्ष्य अपने ज्ञान, अनुभव का अधिक से अधिक लाभ दूसरों को मिलें। कार्यशैली का लक्ष्य सामने वाले का भरोसा और दिल जीतने का हो। प्रशिक्षण और जमीनी अनुभवों में अंतर होता है। क्षेत्र में आपको नित-नये अनुभव होंगे। व्यवहार में ऐसी समस्याएँ और चुनौतियाँ सामने आती है, जिनका समाधान दिशा-निर्देशों में नहीं मिलता है। ऐसे समय में कार्यक्षेत्र के परिवेश की विशिष्टताओं को समझते हुए, संवेदनशीलता के साथ अधीनस्थ कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तालमेल बनाकर कार्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का समाज के वंचित वर्गो के प्रति विशेष उत्तरदायित्व है। शिक्षा में प्रसार के बावजूद महिलाओं एवं बच्चों के प्रति विशेष संवेदनशील आचरण की आवश्यकता है। नीति निर्धारण का कार्य शासन में उच्च स्तर पर किया जाता है, लेकिन नीतियों के क्रियान्वयन में स्थानीय परिस्थितियों से तालमेल बैठा कर जनता तक लाभ पहुंचाने में अधिकारियों की भूमिका बहुत अहम रहती है। उन्होंने गुरु नानक जी द्वारा बच्चें को गुड़ की लत छोड़ने के लिए कहने और जनजातीय क्षेत्र के परिवार के साथ अधिकारी के आत्मीय व्यवहार के दृष्टांतों को बताते हुए कहा कि व्यवहार की संवेदनशीलता कार्य को प्रभावी बनाती है। अधिकारी की सफलता इसमें है कि वह जनहितकारी प्रशासनिक व्यवस्थाओं का निर्माण करें। जहाँ पोस्टिंग हो वहाँ बहुत दौरे करें इसमें दूरस्थ और पिछड़े अंचलो को प्राथमिकता दे। भ्रमण का उद्देश्य योजनाओं की मैदानी हकीकतों का फीड बैक प्राप्त करना हो। आंगनबाड़ी, स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्रों में जाकर, वहाँ की व्यवस्थाओं को समझे उन्हें बेहतर बनाने के प्रयास करें। 

श्री पटेल ने अधिकारियों से कहा कि सफल अधिकारी के लिए व्यवहार सबसे महत्वपूर्ण है। आप जहाँ भी रहें, जिन व्यक्तियों से मिलें, हर किसी से अत्यंत सरल भाषा में बात करें। उनसे मित्रता का व्यवहार करें। सेवा भावना से कार्य कर, वंचितों का विश्वास प्राप्त करें। इस तरह के व्यवहार से जहाँ आप मानसिक रूप से संतुष्ट होकर कार्य कर सकेंगे, वहीं कई कठिनाईयों को दूर करने में स्थानीय लोग आपके सहयोगी सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि जो हाथ में है वह कोई भी ले सकता है। किसी का नसीब कोई नहीं ले सकता है। सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ कार्य करने में ही जीवन की सार्थकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य छोटा अथवा बड़ा नहीं होता है, आवश्यकता अधीनस्थों को समझा कर प्रेरित करने की है।

राज्यपाल को महानिदेशक आर.जी.पी.वी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी श्रीमती दीप्ति मुखर्जी ने संस्थान के संबंध में जानकारी दी। स्मृति चिन्ह भेंट कर अकादमी का अवलोकन करने का आमंत्रण दिया। संचालक सोनाली पोक्षे वायंगणकर ने कार्यक्रम का संचालक किया। प्रशिक्षु अधिकारी श्री आर. विवेक ने प्रशिक्षण के अनुभवों को साझा किया। आभार प्रदर्शन पाठ्यक्रम के सहायक निदेशक श्री चतुर्वेदी ने किया।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश