Posted on 05 Sep, 2018 4:39 pm

 

प्रदेश में किसानों ने आमदनी बढ़ाने के लिये खेती में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल के साथ-साथ कृषि से अन्य जुड़ी गतिविधियों को अपनाना भी शुरू कर दिया है। किसानों की सोच में यह बदलाव मध्यप्रदेश सरकार की किसान कल्याण योजनाओं का ही परिणाम है, जो अब मैदानी स्तर पर दिखाई देने लगा है।

पन्ना जिले में कुंजवन गाँव के किसान संजीत दास के पास कृषि की डेढ़ एकड़ जमीन है। इस जमीन पर वह खेती करके बमुश्किल अपने 5 सदस्यीय परिवार का भरण-पोषण कर पाते थे। सीमित आमदनी के बारे में उन्होंने किसान कल्याण विभाग के मैदानी अमले से चर्चा की। इसी दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक श्री बी.एस. किरार उनके गाँव पहुँचे और उन्हें खेती के साथ मुर्गी-पालन करने की सलाह दी। विभाग द्वारा संजीत दास को मुर्गी पालन का प्रशिक्षण भी दिलवाया गया।

संजीत दास ने खेती के साथ-साथ मुर्गी-पालन शुरू किया। एक बार में 10 हजार चूजे पालते हैं और एक माह में उन्हें तैयार कर बेच देते हैं। उनका मुर्गी-पालन व्यवसाय अब चल निकला है। अब वह अपने इस व्यवसाय में 5 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। संजीत दास ने मुर्गी-पालन के साथ स्थानीय बाजार की माँग पर मांगूर मछली पालन भी शुरू कर दिया है। युवा किसान संजीत दास अब मुर्गी-पालन व्यवसाय के लिये आधुनिक संयंत्र खरीदने पर भी विचार कर रहे हैं।

सिंगरौली जिले में बैढ़न विकासखण्ड के ग्राम कचनी के किसान नंदू कुशवाहा पहले धान की परम्परागत खेती ही किया करते थे। इससे उन्हें अच्छी आमदनी नहीं हो पाती थी। उन्होंने किसान कल्याण विभाग की आत्मा परियोजना से जुड़कर कृषि की आधुनिक तकनीकों की जानकारी प्राप्त की। अब वे नवीन तकनीकों को अपनाकर खेती कर रहे हैं। इससे उनकी प्रति हेक्टेयर लागत में भी कमी आयी है।

सिंगरौली जिले के ही विकासखण्ड चितरंगी के ग्राम शिवपुरवा के किसान बाला प्रसाद को भी आत्मा परियोजना के अंतर्गत कृषि से जुड़ी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिलवाया गया है। उन्होंने जैविक कम्पोस्ट खाद का प्रयोग कर कृषि उत्पादन बढ़ाया है। इसके साथ ही, पशुपालन भी शुरू किया है। दूध की बिक्री से किसान बाला प्रसाद की आय बढ़ी है। आत्मा परियोजना में क्षेत्र के किसानों को कृषि से संबंधित विषय-विशेषज्ञों द्वारा नियमित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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