Posted on 23 May, 2018 4:20 pm

 

किसानों को कृषि उत्पादन बढ़ाने और कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा खेतों में आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिन किसानों ने कृषि यंत्रों का उपयोग किया है, उन्हें इसके अच्छे परिणाम भी मिले हैं। प्रदेश के किसान अब आधुनिक कृषि यंत्रों से खेती करने में अधिक रूचि ले रहे हैं।

लहसुन-प्याज लगाने में हुई आसानी : उज्जैन जिले में ग्राम गोठड़ा के किसान रामेश्वर आंजना को कृषि विभाग द्वारा एक लाख रुपये मूल्य का रोटावेटर अनुदान राशि के साथ उपलब्ध करवाया गया है। रामेश्वर बताते हैं कि रोटावेटर का उपयोग करने से कृषि उत्पादन लागत में काफी कमी आयी है। पहले लहसुन और प्याज की बुआई के लिए खेत तैयार करने के लिए 6 से 7 बार हकाई-जुताई करना पड़ती थी। अब मात्र 3 बार में ही रोटावेटर से जमीन भुरभुरी और बारीक हो जाती है। रामेश्वर ने बताया कि उन्होंने रोटावेटर का उपयोग इस बार गेहूँ की नरवाई को काटने के लिए भी किया है, जो सफल रहा। उन्होंने इस बार नरवाई जलाई नहीं।

किसान रामेश्वर राज्य सरकार की प्याज की खरीदी के लिए की गई सुचारू व्यवस्था से बहुत खुश है। उन्होंने इस बार 30 क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से प्याज की फसल लगाई है। उन्हें उम्मीद है कि भावांतर भुगतान योजना में इसका लाभ मिलेगा। कृषक रामेश्वर खेत में लहसुन भी लगाते हैं। इन्होंने कृषि से आमदनी को बढ़ाने के लिए उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले से सम्पर्क किया है। वे अपने खेत में अब उद्यानिकी विभाग की मदद से नींबू का बगीचा लगाने का प्रयास कर रहे हैं।

डिब्लिंग पद्धति से बढ़ा चने का उत्पादन सीहोर जिले में ग्राम किलेरामा में कृषक ओम प्रकाश खटीक अपनी 4.50 हेक्टेयर कृषि भूमि पर वर्षों से रबी सीजन में परम्परागत रूप से खेती करते रहे हैं। खेत में मौसमी सब्जी भी लगा लिया करते थे। ओमप्रकाश ने किसान-कल्याण विभाग की आत्मा योजना में किसान मित्र के रूप चयन होने के बाद अधिकारियों से चर्चा की। कृषि अधिकारियों की सलाह पर उन्होंने अपने खेत में डिब्लिंग विधि से काबुली चने की बोबनी की। इस विधि को अपनाने से केवल 10 किलो प्रति एकड़ बीज की खपत हुई। उन्होंने बीजोपचार के लिये 2.5 से 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से कार्बनडाजिम फफूंद-नाशक दवा का उपयोग किया। खेत में लाइन से लाइन की दूरी 16 इंच तथा बीज से बीज की दूरी 5-5 इंच रखी तथा इसे रिज एण्ड फेरो विधि से बोया।

इस मशीन से चने के केवल 2 बीज तथा उसके साइड में एन.पी.के. खाद भी डाला। शुरूआत में प्रति एकड़ पौधों की संख्या बहुत कम दिखी, किन्तु 20 से 25 दिन बाद जब पौधों का विकास चारों ओर हुआ, तो क्षेत्र के अन्य किसान चना प्रदर्शन प्लाट को देखकर आश्चर्यचकित रह गये। इस विधि को अपनाने से ओमप्रकाश ने बीज और डीजल, दोनों की बचत की है। इन्होंने खेत में एकीकृत कीट नियंत्रण में प्रति एकड़ 50 टी आकार की खूँटियाँ लगाईं। इससे बिना किसी खर्च के इल्लियों का प्रकोप न्यूनतम रहा। ओमप्रकाश को प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल चने की उपज प्राप्त हुई है।

सक्सेस स्टोरी (उज्जैन, सीहोर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश