Posted on 18 May, 2018 4:28 pm

रतलाम जिले की आदिवासी महिला लीलाबाई डामर अपने गाँव कचारी में इडीएफ फ्लोराइड रिमूवल प्लांट के संचालन के साथ गाँववालों को फ्लोराइड के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक भी कर रही है। अल्प-शिक्षित लीलाबाई ने प्लांट संचालन के लिये लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से प्रशिक्षण लिया है। लीलाबाई सुनिश्चित करती है कि गाँववालों को फ्लोराइड मुक्त शुद्ध पेयजल मिले।

जिले के सैलाना तथा बाजना विकासखण्ड के कई गाँवों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पेयजल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने तथा कम गहराई के हैण्ड-पम्पों में पर्याप्त पानी नहीं मिलने से शुद्ध पेयजल की समस्या बनी रहती थी। समस्या के समाधान एवं फ्लोराइड मुक्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिये विभाग द्वारा इडीएफ फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाये गये हैं। गाँवों में स्थापित यह प्लांट अब आदिवासी वाशिंदों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रहे हैं। लगभग 85 गाँवों में यह प्लांट लगाये गये हैं।

ग्राम कचारी में जब दो वर्ष पहले नल-कूप पर इडीएफ प्लांट लगाया गया, तो प्लांट के संचालन के लिये स्थानीय व्यक्ति की आवश्यकता पड़ी। गाँव के किसी भी व्यक्ति के तैयार नहीं होने पर लीलाबाई आगे आयी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने अपने तकनीशियनों को कचारी गाँव में भेजकर लीलाबाई को प्रशिक्षित करवाया। अब लीलाबाई मोटर चालू-बंद करने, फिल्टर में रखी टंकी की सफाई के साथ ही पानी में फ्लोराइड की मात्रा का किट से टेस्ट करती है। वे टेस्ट के परिणामों से विभाग को नियमित अवगत कराती है। लीलाबाई गाँववालों को फ्लोराइड की स्वीकार्य तथा अस्वीकार्य मात्रा तथा उसकी अधिकता से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में भी समझाती है। उसकी मेहनत से कचारी के आदिवासी वाशिंदे शुद्ध पेयजल प्राप्त करने के साथ फ्लोराइड के संबंध में भी जागरूक हुए हैं।

लीलाबाई अपने काम से खुश है। वह कहती है कि गाँववालों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने में सहयोग कर वह पुण्य का कार्य कर रही है। इस काम में उनका परिवार भी सहयोग करता है।

सक्सेस स्टोरी (रतलाम)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश