Posted on 15 Apr, 2018 11:32 am

अनूपपुर जिले की जलवायु मुनगा उत्पादन के लिये अत्यन्त अनुकूल है। यहाँ महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मुनगा का पेड़ लगाने का अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जा रहा हैं। मुनगे का बॉटनिकल नाम मोरिगा ओंलिफेरा है। मुंनगे के पेड़ को तैयार करने के लिये ज्यादा देख-रेख, पानी और उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती। वर्षांत के दिनों में मुनगा का फल जो डण्डी के रूप में होता है, जमीन में गाड़ दिया जाये, तो भी मुनगा का पेड़ तैयार हो जाता है। जिले के आदिवासी अंचल में यह अत्यन्त लोकप्रिय वृक्ष है। घरों की बाड़ियों, खेत की मेड़ों, स्कूलों और सरकारी कैम्पस में भी मुंनगे के पेड़ बहुतायत में मिलते हैं।

मुनगा अत्यन्त लाभकारी वृक्ष है। इसका उपयोग आयुर्वेद औषधि कम्पनियाँ पेट से संबंधित दवाईयाँ और चूर्ण बनाने में करती हैं। मुनगे में आयरन की मात्रा कॉफी अधिक होती है। इसलिये गर्भवती माताओं, अल्प रक्ता पीड़ित किशोरियों और कुपोषण के शिकार लोगों को मुनगा के सेवन की सलाह दी जाती है। मुनगा एक ऐसा वृक्ष है, जिसकी पत्ति, फूल एवं फल सभी का उपयोग विभिन्न व्यंजनों में होता है। मुनगा के पत्तों से विदेशी कम्पनियाँ टी- बैग तैयार करती हैं। मुनगा को सुखाकर उसके बीज को हर्रा, बहेरा, आंवला के साथ मिलाकर पेट संबंधी विकारों की औषधि तैयार की जाती है।

अनूपपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मुनगा का लगभग 1800 टन उत्पादन होता है। पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, दिल्ली, सिलीग़ड़ी, मुम्बई, छतीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के व्यापारी भी यहां के स्थानीय व्यापारियों के सहयोग से 10 रुपये किलो मुनगा खरीद कर अपने राज्यों में बेच देते हैं। किसानों को मुनगे के एक पेड़ से लगभग 40 से 100 किलो तक मुनगा फल मिलता है। जैतहरी जनपद के ग्राम कोड़ा निवासी चन्द्रशेखर यादव ने बताया कि उनके गाँव से गर्मी के सीजन में सौ से भी अधिक आदिवासी परिवार प्रतिदिन मुनगा बेचने अनूपपुर आते हैं। मुनगे के वृक्ष से जिले के आदिवासी परिवार हर साल अच्छी कमाई कर लेते  हैं।

सक्सेस स्टोरी (अनूपपुर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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