Posted on 27 Jun, 2018 4:50 pm

 

महाराष्ट्र के छोटे से गाँव की रहने वाली संगीता दाहिया 16 वर्ष की उम्र में 10वीं तक पढ़ाई कर, मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के पाली विकासखंड के ग्राम मलियागुडा में पावर प्लांट में मजदूरी करने वाले राजकुमार की पत्नी बनकर आई थी और आज आजीविका मिशन से जुड़कर लखपति बन गई है और बेटे को दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवा रही है।

मजदूर पति की न्यूनतम आय से घर का संचालन चलाना कठिन ही नहीं, दुष्कर कार्य हो गया था। वर्ष 2015 में आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद संगीता ने आस्था समूह का गठन किया। साथ ही, पढ़ी-लिखी होने के कारण ग्राम संगठन अवधारणा, बुक-कीपिंग जेण्डर, सामाजिक गतिविधि, एम.पी.पी. का प्रशिक्षण लेने के बाद सी.आर.पी. का कार्य करने लगी। अन्य महिलाओं के भी समूह गठन करवाने लगी।

संगीता ने चार महिलाओं के साथ मिल कर गाँव में ही नेपकिन बनाने का काम प्रारंभ किया। ग्राम संगठन से 80 हजार 500 रुपये का ऋण लेकर काम को और बढ़ाया। संगीता को महिला बाल विकास विभाग से प्रतिमाह 12 हजार नेपकिन पैकिट सप्लाई आर्डर मिला है। इससे 9000 प्रति माह आय होने लगी है।

संगीता के कारोबार में धीरे-धीरे तेजी आई है। अब प्रति माह 15 हजार कमा रही है संगीता। लगभग सवा लाख रुपये की वार्षिक आय से संगीत ने अब अपने बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये नई दिल्ली भेजा है।

 सक्सेस स्टोरी (उमरिया)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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