Posted on 23 Sep, 2018 5:59 pm

 

मन में आगे बढ़ने की ललक और चुनौतियों से लड़ने का हौसला हो, तो व्यक्ति अपना मुकाम हासिल कर ही लेता है। ऐसी ही सच्ची कहानी है गुना जिले के बमौरी की किरणदीप कौर की, जो कभी पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाने में असमर्थ थीं। आज वह 5 बीघा से अधिक जमीन की मालकिन हैं। इनका दो कमरे का मकान है। घर में ट्रेक्टर और स्कूटी है। एक बेटी की शादी कर दी है और एक बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़ रहा है। ट्रेक्टर से स्वयं अपने खेतों की जुताई करती हैं और गाँव के खेतिहर मजदूरों की मदद भी कर रही हैं। किरणदीप कौर ने अपनी तरक्की की कहानी खुद ही गढ़ी है और इसमें मददगार साबित हुआ है ग्रामीण आजीविका मिशन, जिसने घर के चूल्हा-चौका और गाँव से बाहर निकलकर आगे बढ़ने की राह दिखाई।

किरणदीप कौर एक गरीब परिवार की महिला थीं, जो पूर्व में चूल्हे चौके तक ही सीमित थीं। पति की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर आ गई थी। किरणदीप की शादी कम उम्र में हो गई थी। उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कुछ पैसे उधार लिये और सिलाई मशीन खरीदी। इससे आय बढ़ने से उनका आत्म-विश्वास बढ़ा। फिर तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सिर्फ अपने समूह का गठन ही नहीं किया, बल्कि गाँव में 4 और समूहों का गठन भी करवाया।

किरणदीप कौर आजीविका मिशन के सहयोग से प्रगति के पथ पर बढ़ती रहीं। समूह के माध्यम से छोटी-छोटी बचत करने लगीं। उन्हें समाज और बाजार के बारे में भी जानकारी होने लगी। अब वह परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ समाज में अपनी सक्रिय भागीदारी द्वारा लोगों में जागरूकता भी पैदा कर रही हैं। अपने खेत में अच्छी किस्म की धान की फसल लेती हैं और घर का पूरा काम भी स्वयं ही करती हैं। किरणदीप कौर अब आजीविका मिशन द्वारा बनाये गए ग्राम संगठन की अध्यक्ष हैं और ग्राम संगठन को बहुत बढ़िया तरीके से चला रही हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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