Posted on 29 Jul, 2018 6:55 pm

 

बैतूल जिले के आठनेर विकासखण्ड के ग्राम मेंढाछिंदवाड़ निवासी रामदेव  धुर्वे का 12 वर्षीय पुत्र अर्जुन जन्म से ही मुड़े पैरों की समस्या से जूझ रहा था। श्रमिक पिता इलाज के भारी खर्चे के कारण इलाज कराने में समक्ष नहीं थे। इधर अर्जुन स्वयं को अपने सहपाठियों से कमजोर मानकर हमेशा उदास रहता था। कक्षा सातवीं में पढऩे वाले अर्जुन ने अपनी बीमारी को ही अपना जीवन मान लिया था। 

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के दल ने 11 जुलाई 2017 को क्लब फुट के मरीज के रूप में अर्जुन को चिहिन्त किया एवं नि:शुल्क उपचार की सलाह दी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रदीप मोजेस द्वारा प्रकरण बनाकर अर्जुन को पाढर चिकित्सालय रवाना किया गया, जहां 14 अप्रैल 2018 को अर्जुन की सफल क्लब फुट की शल्य चिकित्सा हुई। अब अर्जुन पैरों के टेढ़ेपन से निजात पा चुका है। भविष्य में अर्जुन पढ़-लिखकर नाम कमाना चाहता है। अर्जुन के परिजन नि:शुल्क शल्य चिकित्सा हेतु सरकार का आभार मानते हैं।

आरबीएसके टीम ने सिवनी जिले के ग्राम सुकतरा में आदिवासी कन्‍या आश्रम की बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया। परीक्षण में ग्राम खाम्बा की 8 वर्षीय दुबली-पतली कमजोर बच्ची दिव्या पिता रतनलाल का स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण किया।  परीक्षा के दौरान चिकित्सकों को रश्मि के हृदय रोगी होने की आशंका हुई। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा आयोजित कैम्प में विशेषज्ञों द्वारा दिव्‍या का स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण किया गया। परीक्षण में दिव्या के हृदय में छेद के आपरेशन से ठीक होने की स्थिति स्पष्ठ हुई। माता-पिता की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से दिव्‍या को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजनांतर्गत 90 हजार रूपये की सहायता राशि स्‍वीकृत की गई। दिव्‍या का नि:शुल्‍क ऑपरेशन हुआ। कुछ माह बाद टीम फालोअप के लिए बच्‍ची के गॉंव पहुँची, तो दिव्या टीम को देखकर मुस्कुराती हुई दौड़ती आई। टीम ने स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण में बच्‍ची का वजन पूर्व से 3·5 किलो बढ़ना पाया। दिव्या अब बिल्कुल स्वस्थ्य है। अब दिव्‍या के माता-पिता शासन की मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना की सराहना करते हुये नहीं थकते।

 मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना की मदद से 12 वर्षीय कमलेश को भी नई जिन्दगी मिली है। पहले वह जरा-सा चलने और खेलने में ही हांफने लगता था। मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना में कमलेश के हृदय का नि:शुल्क ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद अब कमलेश अच्छे से चलने और खेलने-कूदने लगा है। कमलेश के पिता भूरे रैकवार बताते हैं कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना से राशि नहीं मिलती, तो वे कभी भी कमलेश के हृदय का ऑपरेशन नहीं करवा पाते।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश