Posted on 28 Oct, 2016 1:09 pm

भोपाल : शुक्रवार, अक्टूबर 28, 2016, 13:01 IST
 

कहानी कहने की कला, बच्चों को समूचे संसार से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। प्राचीन समय में बच्चों को कहानी सुनाना शिक्षा प्रदान करने की बुनियाद हुआ करती थी, जिसमें शिक्षक बच्चों को कई कहानी का उदाहरण देकर शिक्षण पाठ को समझाया करते थे। बच्चों को कहानी घर में बुजुर्ग भी सुनाया करते थे, जो बच्चों के स्मृति-पटल पर हमेशा के लिये दर्ज हो जाती थी। इसी बात को ख्याल में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने कक्षा एक और दो की शिक्षण प्रक्रिया में कहानी सुनाना को शिक्षण प्रक्रिया में शामिल किये जाने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को दिये हैं।

केन्द्र सरकार ने हाल ही में 'पढ़े भारत-बढ़े भारत' कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों में भाषा के ज्ञान को मजबूती देने के लिये अनेक सुझाव राज्य सरकारों को दिये हैं। इसी के पालन में पाठयक्रम में कहानी सुनाने को शामिल किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इस संबंध में आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र ने निर्देश जारी किये हैं। निर्देश में कहा गया है कि कक्षा के शिक्षण के साथ-साथ बाल-सभा की गतिविधियों में कहानी सुनने और सुनाने को शामिल किया जाये। सरकारी शालाओं में शिक्षक द्वारा कक्षा में शिक्षण प्रारंभ करने के पहले अनिवार्य रूप से कहानी सुनायी जाये। बाल-सभा में बच्चों को कहानी सुनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाये। जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने जिले की सरकारी शालाओं में प्राचार्यों के माध्यम से साप्ताहिक बाल-सभा में अभिभावकों या वरिष्ठ नागरिकों को स्थानीय भाषा में बच्चों को कहानी सुनाने के लिये आमंत्रित किया जाये। कहानी सुनाने की प्रतियोगिता शाला-स्तर पर की जाये, जिसमें बच्चों की भागीदारी अधिक से अधिक सुनिश्चित की जाये।

परिपत्र में शामिल हैं यह निर्देश

राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा इस संबंध जो परिपत्र भेजा गया है उसमें कहा गया है कि कहानियाँ कक्षा का शक्तिशाली जरिया होती हैं। वे मजेदार, प्रेरणादायी और चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। वे नई अवधारणाओं के बारे बच्चों की सोच को प्रेरित कर सकती हैं। कहानी सुनाने का उपयोग गणित और विज्ञान सहित कई तरह के विषयों में आकर्षक तरीके से विषय और समस्याएँ प्रस्तुत करने के लिये किया जा सकता है। परिपत्र के साथ प्रदेश के मुरैना, सागर जिलों की प्राथमिक शालाओं में कहानी सुनाने की जो प्रक्रिया अपनाई गई है, उसकी केस स्टेडी भी भेजी गई है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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