Posted on 20 Feb, 2018 4:16 pm

कुपोषण से जंग के विरूद्ध प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिहं चौहान द्वारा किये गये ऐलान के बाद सहरिया परिवारों को प्रति माह उचित पोषण के लिए एक हजार रूपये की राशि परिवार की मुखिया महिलाओ के बैंक खातों में जारी होने से इन परिवारों में अब खुशी का आलम है। आदिवासी अंचल कराहल के लहरौनी ग्राम की निवासी सहरिया महिला सीमा पत्नि सगुन आदिवासी का 7 साल का बेटा छोटू अब गुड़ और दलिया का नाश्ता करने के बाद स्कूल जाता है और दोपहर का भोजन स्कूल में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना में करता है। इस प्रकार उचित पोषण के लिए दी गई राशि से सहरिया परिवारों के बच्चों को भी तीन समय भोजन की सुविधा उपलब्ध हो गई है।

सीमा आदिवासी ने बताया कि उसके 4 बच्चे हैं जिनमें छोटू सबसे बड़ा 7 साल का है और सबसे छोटा बेटा एक साल का है। उसने बताया कि हर महीने एक हजार रूपये की राशि मिलने के बाद घर में बच्चों के खान-पान की सुविधा में इजाफा हुआ है। जनवरी माह में मिली राशि से उसने बच्चों के नाश्ते के लिए गुड़ और दलिया की व्यवस्था की है इससे वह कभी मीठा दलिया बनाती है तो कभी नमकीन दलिया बनाकर बच्चों को खिलाती है। गुड़ और शक्कर की अतिरिक्त व्यवस्था होने से कभी बच्चों को हलवा और लपसी भी बनाकर देती है। उन्हे एक रूपये किलो की दर पर उचित मूल्य दुकान से सार्वजनिक वितरण प्रणाली का गेहूं और चावल भी मिलते है।

इसी गांव की धोडा बाई भी अपने बैंक खाते में एक हजार रूपये हर माह आने से खुश है। दो बच्चो़ की माँ धोडा बाई बताती हैं कि उसके पति सरूप आदिवासी के पास 4 बीघा खेती है जिस पर ही परिवार का गुजारा चलता है। अब एक हजार रूपये महिने मिलने से घर को बहुत सहारा हो गया है। उसके बच्चे वर्षा कक्षा 6 में तथा बादल कक्षा 2 में पढ़ता हैं। वह कहती है कि एक हजार रूपये की राशि सरकार ने बच्चों के खान-पान के लिए दी है, तो हम इस पैसे को उनके खाने-पीने पर ही खर्च कर रहे हैं।

सीमा और धोडा बाई की तरह ही इस गांव की 112 सहरिया महिलाओं को प्रति माह एक हजार रूपये की राशि मिलना शुरू हो गई है। कराहल विकासखण्ड मुख्यालय पर 25 दिसम्बर 2017 को मुख्यमंत्री द्वारा सहरिया परिवारों की मुखिया महिलाओं को उचित खान-पान एवं पोषण के लिए प्रतिमाह एक हजार रूपये की राशि दिये जाने की शुरूआत की गई थी। श्योपुर जिले में अभी तक 15 हजार से अधिक सहरिया परिवारों के बैंक खाते में राशि जारी कर दी गई है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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