Posted on 07 Aug, 2018 8:05 pm

 

रीवा में मल्टी ड्रग रिसर्च यूनिट स्थापित हो गयी है। यह यूनिट भारत सरकार की पांचवी पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू की गई है। इस यूनिट में विभिन्न प्रकार के रिसर्च प्रोजेक्ट क्रियान्वित किये जा रहे है। यूनिट में विभिन्न विषयों पर अनुसंधान किया जा रहा है। अध्ययन और अनुसंधान के परिणाम स्वरूप मधुमेह जैसे रोग की रोकथाम की जा सकेगी। देश में पोषण के साथ हृदय से संबंधित कार्यक्रम पूरी तरह से स्थापित नहीं है और न ही इसके ऊपर ज्यादा शोध किया गया है। यूनिट के जरिये अति-कुपोषित बच्चों की रक्त संबंधी और हृदय के संरचनात्मक एवं कार्यात्मक जोखिम मार्कर निर्धारण करने पर शोध किया जा रहा है। इससे वर्तमान में भविष्य एवं अति कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य के लिये नीतिगत निर्णय लिया जा सकेगा।

संचालक चिकित्सा शिक्षा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यूनिट में विटिल्गों हिप फ्रेक्चर एवं नेत्र की जन्मजात विसंगति से ग्रसित मरीजों के लिये बेहतर उपचार करने के लिये अनुसंधान किया जा रहा है। साथ ही मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों के साइकोटिक लक्षण के इलाज के लिये उपयुक्त दवा का चयन, खुराक की मात्रा तय करने अध्ययन किया जा रहा है।

इन क्रियाशील अनुसंधानों के अतिरिक्त जेनेटिक-डायग्नोस्टिक लैब को स्थापित करने के प्रयास किये जा रहे है। इससे गंभीर बीमारी की पहचान (मॉलिक्यूलर) जल्द हो सकेगी और मरीजों का समय पर उपचार संभव होगा। इसके साथ ही पैसे और समय की बचत भी होगी।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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