Posted on 11 Dec, 2016 4:40 pm

भोपाल : रविवार, दिसम्बर 11, 2016, 16:16 IST
 

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने प्रदेश की 8 नगरपालिक निगम और 20 नगरपालिका तथा नगर परिषद को अधोसंरचना विकास के लिये 221 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। इनमें 8 नगरपालिक निगम को 150 करोड़, 10 नगरपालिका को 49 करोड़ और 10 नगर पंचायत को 22 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं।

मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा है कि अधोसंरचना विकास कार्यों के लिये स्वीकृत राशि का सदुपयोग होने के साथ ही कार्यों की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान रखा जाये। उन्होंने कहा कि कार्यों का चयन नागरिकों की जरूरत के मुताबिक हो और समय-सीमा में कार्य पूरा हो, यह भी सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि स्वीकृत राशि का उपयोग बढ़ते हुए शहरीकरण और जनसंख्या के आधार पर अधोसंरचनाएँ तैयार करने और उपलब्ध अधोसंरचना का नवीनीकरण करने में किया जायेगा। इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा स्मार्ट-सिटी योजना और राज्य सरकार द्वारा छोटे एवं मझौले शहरों को भी स्मार्ट-सिटी के रूप में विकसित करने की मंशा को इस राशि से पूरा किया जायेगा।

अधोसंरचना विकास के लिये नगरपालिक निगम ग्वालियर को 30 करोड़, मुरैना को 10 करोड़, देवास को 10 करोड़, रतलाम को 10 करोड़, भोपाल को 40 करोड़, सागर को 10 करोड़, जबलपुर को 30 करोड़ और छिन्दवाड़ा को 10 करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी है। नगरपालिका धार को 3 करोड़, झाबुआ को 3 करोड़, आगर-मालवा को 3 करोड़, शाजापुर को 2 करोड़, मण्डीदीप को 3 करोड़, होशंगाबाद को 5 करोड़, इटारसी को 3 करोड़, हरदा को 3 करोड़, मैहर को 3 करोड़ और मलाजखण्ड नगरपालिका को 3 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। नगर परिषद भीकनगाँव को 2 करोड़, पीपलिया मण्डी को 2 करोड़, नारायणगढ़ को 2 करोड़, गरोठ को 2 करोड़, बुधनी को 3 करोड़, रेहटी को 3 करोड़, बाबई को 3 करोड़, चंदिया को 3 करोड़ और कटंगी बालाघाट को एक करोड़ की राशि स्वीकृत की गयी है।

नगरपालिक निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों को स्वीकृत राशि के उपयोग के संबंध में दिशा-निर्देश भी दिये गये हैं। प्राथमिकता का निर्धारण करते हुए नगरीय निकायों से कहा गया है कि वे नव-गठित नगरीय निकायों में कार्यालय भवन निर्माण, अधोसंरचना विकास के कार्य, शहरी अधोसंरचना के लिये राज्य सरकार द्वारा की गयी घोषणाओं का क्रियान्वयन, स्मार्ट-सिटी में आवश्यक अधोसंरचना विकास कार्य आदि करने को कहा गया है। निर्देश में शहरी गरीबों के लिये बजट का 20 से 25 प्रतिशत का प्रावधान करने को कहा गया है। नगरीय निकायों से मार्ग निर्माण/उन्नयन, स्टार्म वॉटर ड्रेन, पार्किंग एवं यातायात सुधार, धरोहरों का संरक्षण, नगरीय सौंदर्यीकरण, पर्यटन विकास, खेल मैदान का विकास, आमोद-प्रमोद की संरचनाएँ विकसित करने, हाट बाजारों का विकास, वनीकरण, पार्क, ग्रीन लंग्स का विकास, सामुदायिक महत्व की अधोसंरचनाएँ आदि कार्य करने को कहा गया है। निर्देशों में विकास के लिये तैयार की जाने वाली परियोजना के डीपीआर बनाने के संबंध में मार्गदर्शन दिया गया है। गुणवत्ता नियंत्रण के लिये निर्माण कार्य प्रारंभ होने से लेकर कार्य पूरे होने तक एक्सीलेंसी सर्विसेस नगरीय निकायों को नियमानुसार दी जायेंगी। निर्माण कार्यों के स्वतंत्र पर्यवेक्षण के लिये मुख्यालय द्वारा थर्ड पार्टी नियुक्त की जायेगी।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश