Posted on 11 Aug, 2016 3:13 pm

सर्वश्रेष्ठ 5 जिले होंगे पुरस्कृत 
आयुक्त एकीकृत बाल विकास ने लिखा कलेक्टरों को पत्र 

भोपाल : गुरूवार, अगस्त 11, 2016, 14:53 IST
 

स्नेह सरोकार योजना को प्रभावी बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। सभी जिला कलेक्टर को आयुक्त एकीकृत बाल विकास श्रीमती पुष्पलता सिंह ने पत्र लिखकर कहा है कि वे योजना में अति कम वजन के साथ ही कम वजन के बच्चों को सुपोषित बनाना इसमें जोडे। साथ ही योजना में रस्म अदायगी न हो बल्कि जिम्मेदारी लेने वाले समुदाय के लोग 6 माह तक बच्चे पर निरंतर निगरानी रखने के साथ ही उसे सुपोषित बनाने के लिए आवश्य सहायता करें। योजना में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले 5 जिले पुरस्कृत भी किये जायेंगे।

आयुक्त ने पत्र में कहा कि स्नेह सरोकार कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छ: माह से पाँच वर्ष तक के सभी कम वजन और अति कम वजन के बच्चों के पोषण स्तर में परिवर्तन लाना है। इन बच्चों के प्रति समुदाय के संवेदनशीलता को बढ़ावा देना है। इस कार्यकम में कोई भी स्थानीय व्यक्ति, संस्था स्वप्रेरणा से कम वजन और अति कम वजन के बच्चों की जिम्मेदारी ले सकते है। यह जिम्मेदारी कम वजन और अति कम वजन के बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने की होगी।

बच्चों के पोषण स्तर को प्रभावित करने वाले कई कारक होते है, जैसे बच्चे के परिवार की स्थिति, खाद्य उपलब्धता एवं उपयोग, टीकाकरण, बच्चे के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के पोषण और स्वच्छता संबंधी जानकारी आदि स्नेह सरोकार कार्यक्रम में अति कम वजन के बच्चों की जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति को पूर्व से ही आँगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा इस संबंध में पूरी जानकारी दी जायेगी। कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए प्रोफाइल प्रपत्र में बच्चे और जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति की जानकारी होगी। जिम्मेदारी देने के पूर्व व्यक्ति के समक्ष बच्चे का वजन करवाया जायेगा और पोषण स्तर को प्रपत्र में अंकित किया जायेगा। आँगनवाड़ी केन्द्र में ही इन बच्चों के परिवारजन और जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति की चर्चा कर बच्चे के वजन में होने वाली कमी की तात्कालिक कारणों को जानने का प्रयास किया जायेगा। बच्चे के पोषण आहार में सुधार किए जाने वाले प्रयासों की रूपरेखा तैयारी की जायेगी। बच्चों के पोषण स्तर सामान्य होने पर जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति को प्रशंसा पत्र और विभिन्न राष्ट्रीय पर्व पर सम्मानित भी किया जायेगा।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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