Posted on 13 Nov, 2017 7:03 pm

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्रीमती गौरी सिंह की अध्यक्षता में आज 'एन्टी बॉयोटिक दवाओं की प्रभावोत्पादकता में कमी'' विषय पर कार्यशाला हुई। इसमें एन्टी बॉयोटिक दवाओं के बीमारियों पर घटते प्रभाव पर चिन्ता प्रकट करते हुए विस्तृत चर्चा की गई। इससे निपटने के लिए संभावित उपायों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

श्रीमती गौरी सिंह ने कहा कि एन्टी बॉयोटिक अब फसलों, फलों आदि के माध्यम से हमारी खाद्य श्रृंखला का हिस्सा बन गये हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से प्रयास करने होंगे। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. अगनानी ने कहा कि एन्टी बॉयोटिक दवाओं का सही प्रबंधन न होने से इनकी प्रतिरोधक क्षमता बीमारियों के कीटाणुओं में बढ़ रही है। लोग बिना चिकित्सीय परामर्श के दवाएँ ले रहे हैं। इससे इन दवाओं के प्रभाव कम होने के प्रकरण लगातार बढ़ रहे हैं। यह एक खतरनाक स्थिति है, जिसे साझा प्रयासों से सुधारने के प्रयास किये जाएंगे।

कार्यशाला में स्वास्थ्य संचालक डॉ. के.एल. साहू, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक श्री एस. विश्वनाथन, नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के अतिरिक्त संचालक डॉ. सुनील गुप्ता, विश्व स्वास्थ्य संगठन के तकनीकी सलाहकार डॉ. अनुज शर्मा, नीति फाउण्डेशन के श्री सूरज कुमार और शासकीय एवं निजी क्षेत्र के चिकित्सकों ने भाग लिया।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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