Posted on 09 Nov, 2017 11:48 am

भोपाल : गुरूवार, नवम्बर 9, 2017
 

बड़वानी जिले के सेधवा विकासखंड में एक छोटा-सा गांव है वासवी। इस गांव में 372 परिवार रहते हैं। अधिकांश परिवार रोजगार और खेती-बाड़ी के लिये साहूकारों के पास अपने गहने जमानत पर रखकर 5 प्रतिशत ब्याज पर कर्जा लेते रहे। इससे ग्रामीणों की गरीबी तो दूर नहीं हुई बल्कि ये साहूकारों के चंगुल में फंसकर रह गये।

ग्रामीण महिलाओं ने सजगता दिखाई, एकजुट हुईं और 21 स्व-सहायता समूह बनाकर ग्रामीणों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराने की ठानी। इन स्व-सहायता समूहों ने गांव के करीब 222 परिवारों को रोजगार स्थापित करने और खेती-बाड़ी के लिये बिना जमानत के 2 प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की योजना बनाई। आज गांव में साहूकारी प्रथा पूरी तरह समाप्त हो चुकी है।

स्व-सहायता समूहों से आर्थिक मदद लेकर गांव के 9 परिवार डेयरी पालन कर रहे हैं, 7 परिवारों के पास टाटा मैजिक वाहन है जिसे किराये पर चलाकर अच्छा कमा रहे हैं, 16 परिवार बकरी पालन, 8 सब्जी की दुकान, 6 किराना दुकान, 2 आटा चक्की, 6 मोटर बांइडिंग, 20 सेन्टरिंग और 2 परिवार कटलरी की दुकान का व्यवसाय कर रहे हैं। गांव के 180 लोगों ने फसल उत्पादन और 13 लोगों ने फूलों की खेती और सब्जी उत्पादन के लिये स्व-सहायता समूहों की मदद ली है। आज ये सभी परिवार सुखी हैं, न्यूनतम ब्याज पर कर्जा चुका रहे हैं, परिवार का पालन-पोषण करने में सक्षम हो गये हैं और ग्रामीण समाज में इज्जत के साथ जीवनयापन कर रहे हैं।

ग्राम संगठन की अध्यक्ष श्रीमती रेशा बाई सिकराम और कोषाध्यक्ष श्रीमती शांता बाई सोलंकी ग्रामीण परिवारों की तरक्की का लगातार मूल्यांकन करती हैं, उन्हें जरूरी सलाह देती हैं और उनकी शंकाओं का समाधान भी करती हैं। अब सभी ग्रामीण गांव के विकास कार्यों में रूचि ले रहे हैं। ग्रामीणों की भागीदारी से ग्रामीण नल-जल योजना की शुरूआत हो गई है। इस योजना से गाँव में घर-घर शुद्ध पानी भी मिलने लगा है।

सफलता की कहानी(बड़ावानी)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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