Posted on 24 Sep, 2022 7:34 pm

प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए संचालित कल्याणकारी कार्यक्रमों के सार्थक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। पिछले वर्षों में राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए नवाचार कर संचालित की गई योजनाओं से अब बदलाव के साक्ष्य देखे जा सकते हैं। प्रदेश में महिला स्व-सहायता समूह का गठन, उन्हें मिली सरकारी मदद और समूह के बेहतर संचालन ने आधी आबादी के जीवन में मूलभूत परिवर्तन ला दिया है। इन समूहों की महिलाएँ अपनी योग्यता, क्षमता और रूचि के अनुसार कार्य चुनती हैं। सरकारी स्तर से मिल रहे समुचित प्रशिक्षण तथा आर्थिक मदद से महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक बदलाव का दौर प्रारम्भ हो जाता है।

श्योपुर जिले और विकासखंड के ग्राम ननावद निवासी श्रीमती शीतल बैरवा को आर्थिक कठिनाइयों भरे जीवन से उबरने की राह स्व-सहायता समूह ने दिखाई। शीतल, समूह की सदस्य बनीं, पहले पाँच हजार, फिर दस हजार रूपये का ऋण लिया, उसे समय पर चुकाया और अब एक लाख रूपये का ऋण लेकर किराना और मनिहारी की दुकान खोल ली है। पति, बेटी और बेटे के सहयोग से दुकान अच्छी चलने लगी और घर का ठीक से गुजारा होने लगा।

सेवा की भावना ने शीतल को दिया प्रधानमंत्री से मिलने का अवसर

अब शीतल के मन में सेवा कार्य से जुड़ने की ललक उठी। वे अक्टूबर 2020 में मध्यप्रदेश-डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में गठित स्व-सहायता समूह सदस्य के संकुल स्तरीय संगठन में समता सखी बनी। जल जीवन मिशन में पेयजल गुणवत्ता निगरानी समिति की सदस्य बन कर घर-घर पानी की बचत और स्वच्छता का अलख जगाया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने श्रीमती शीतल को पानी की शुद्धता परीक्षण का प्रशिक्षण दिला कर जल परीक्षण किट प्रदान किया। शीतल ने घर की जिम्मेदारियों के साथ ग्रामीणों को उपलब्ध हो रहे पेयजल का परीक्षण प्रारंभ कर दिया। श्रीमती शीतल बैरवा को विगत दिनों कराहल ब्लाक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जल जीवन मिशन में जल परीक्षण के लिए फील्ड टेस्ट किट प्रदान की। श्रीमती बैरवा कहती हैं कि जल जीवन मिशन में सेवा कार्य से जुड़ने और गाँव से प्रधानमंत्री से भेंट तक का अल्प समय में लंबा रास्ता तय कर लेने वाला अद्भुत अनुभव रहा है। मेरे लिए तो यह "छोटी सेवा बढ़ा मेवा" जैसी बात हुई है।

जल जीवन मिशन में संचालित ग्रामीण क्षेत्र की जल प्रदाय योजनाओं में जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए प्रत्येक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति में 5 महिला सदस्य को लिया जाता है। इन्हीं सदस्यों को प्रशिक्षण के बाद जल परीक्षण के लिए फील्ड टेस्ट किट दी जाती है, जिससे ग्रामीणों को नल कनेक्शन के जरिये उपलब्ध करवाये जा रहे जल का समय-समय पर परीक्षण किया जा सके। प्रदेश में अब तक 15 हजार 38 ग्राम में 61 हजार 356 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। मिशन में शामिल ये जल मित्र अपने फील्ड टेस्ट किट से पेयजल में आठ प्रकार के टेस्ट पी.एच, कठोरता, क्लोराइड, फ्लोराइड, आयरन, फ्री क्लोरिन, टर्बीडिटी और नाइट्रेट टेस्ट करते हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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