Posted on 15 Dec, 2019 11:59 am

नगरीय सुविधाओं का विस्तार कर शहर के अंतिम छोर तक और सबसे गरीब वर्ग तकपहुँचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश में पिछले लगभग एक साल की अवधि मेंसक्षम नेतृत्व के कारण जहाँ प्रचलित नगरीय विकास योजनाओं को तर्कसंगत बनाया गयाहै, वहीं एक वर्ष से रुकी या अधूरी पड़ी पेयजल, सीवरेज और मेट्रो जैसी परियोजनाओंको अमली जामा पहनाया गया है।

स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)

नगरीय निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए क्लस्टर आधारित अवधारणा कोसमाप्त कर विकेन्द्रीकृत कार्य-योजना लागू की गयी है। घर-घर जाकर कचरा संग्रहणकरने के लिए 850 वाहन खरीदने की अनुमति देकर 50 करोड़ 76 लाख की राशि आवंटित कर दीगई है।

निकायों में 83 मटेरियल रिकवरी सेंटर के लिए 14 करोड़ से अधिक और नगरपालिकनिगमों में ट्रांसफर स्टेशन के लिए 5 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राशि जारी की गयीहै। उज्जैन नगर निगम को बायो-मेथेनाइजेशन एवं रिसाइकिल मशीन के लिए 7 करोड़ और नगरनिगम इंदौर को स्वच्छ भारत मिशन में 22 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता दी गई है।निकायों को सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण के लिए 12 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गयाहै।मिशन में 4 लाख परिवारों से व्यक्तिगतसम्पर्क कर स्वच्छता का संदेश देने के साथ ही 4 लाख से अधिक कपड़े के झोले वितरितकिए गए।

स्मार्ट सिटी योजना

स्मार्ट सिटी योजना में इस अवधि में 630 करोड़ के 29 प्रोजेक्ट पूरे किये जाचुके हैं और 89 के कार्य आदेश जारी कर दिये गये हैं। साथ ही 50 प्रोजेक्ट निविदाप्रक्रिया में हैं। योजना में क्षेत्र आधारित विकास के लिये भूमि-मुद्रीकरण कीस्वीकृति दी गई है। इससे प्राप्त आय का आधा स्मार्ट सिटी में ही खर्च किया जायेगातथा आधा रिजर्व फण्ड में सरकार के पास रहेगा।

अमृत मिशन

अमृत मिशन में डबरा और शिवपुरी की जल-प्रदाय और दमोह की स्टार्म वाटर ड्रेनपरियोजना का कार्य शुरू किया गया। हरित क्षेत्र एवं पार्क विकास परियोजना मेंजबलपुर में 6, ग्वालियर और खरगोन में एक-एक मंदसौर में 2 परियोजना का कार्यस्वीकृत किया गया है। बाइस निकायों में 19 हजार 167 लाख की 35 परियोजनाओं का कार्यपूर्ण हो चुका है।

मेट्रो रेल

भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल का कार्य शुरू कियाजा चुका है। भोज और इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिये नई दिल्ली में भारत सरकारमध्यप्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के बीच एम.ओ.यू. हो चुका है।भोपाल के मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 27.87 किलोमीटर में दो कॉरिडोर बनेंगें । एक कॉरिडोर करोंद सर्कल से एम्स तक 14.99किलोमीटर और दूसरा भदभदा चौराहे से रत्नागिरि चौराहा तक 12.88 किलोमीटर का होगा।  लागत रुपये 6941 करोड़ 40 लाख होगी । इंदौरमेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 31.55 किलोमीटर की रिंग लाइन बनेगी । यह बंगाली चौराहेसे विजयनगर, भंवर शाला, एयरपोर्ट होते हुए पलासिया तक जायेगी। लागत 7500 करोड़ 80लाख है । इसके साथ ही रैपिड ट्रेन चलाने की भी योजना है।

मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हलपमेंट कम्पनी द्वारा नर्मदा सेवा मिशन में विशेषनिधि में 8 नगरों की सीवरेज योजना में 10 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च हुए हैं। मिनीस्मार्ट सिटी कार्यों में 14 नगरों में 350 करोड़ की लागत के कार्य प्रस्तावित हैं।एडीबी पेयजल एवं मल-जल योजना में 74 पेयजल और 4 मल-जल योजना, विश्व बैंक पेयजल और मल-जल योजना में 7 नगरीय निकायों में, विशेष निधि मल-जल योजना में8 नगरीय निकायों में और केएफडब्ल्यू मल-जल योजना में 3 नगरीय निकायों में और 12मिनी स्मार्ट सिटी में कार्य स्वीकृत किये गये हैं। इन सभी कार्यों की लागत 376करोड़ 61 लाख है।

शहरी पेयजल योजना

शहरी पेयजल योजना में इस अवधि में 980 लाख की योजनाएँ स्वीकृत की गई हैं और292 करोड़ लागत की 26 जल-प्रदाय योजनाओं का कार्य पूरा किया गया है। यूआईडीएसएसएमटीयोजना में 21 नगरीय निकायों की 514 करोड़ लागत की जल-प्रदाय योजनाओं का कार्य पूराकिया गया।

शहरी परिवहन

शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण कम करने के लिये मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिकवाहन नीति-2019 बनाई गई है, जिसमें सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर रियायत दीजायेगी। शहरों में 340 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का निर्णय लिया गया है।इंदौर-भोपाल में सौ-सौ, जबलपुर-उज्जैन में पचास-पचास और ग्वालियर में चालीसइलेक्ट्रिक बसों का संचालन प्रस्तावित है। इंदौर में 40 बसों का संचालन शुरू होचुका है। इन्टर सिटी बस सेवाओं को प्रभावी बनाने के लिये 15 नगरीय निकायों में 521बस का संचालन प्रारंभ हो चुका है। छिंदवाड़ा में पीपीपी मॉडल पर साढ़े 7 करोड़ कीलागत से आईएसबीटी स्तर का बस स्टैण्ड निर्माणाधीन है।

मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास

योजना में 12 नगरीय निकायों को 13 करोड़ से ज्यादा की अनुदान राशि उपलब्धकराई गई है। सुपर मिनी स्मार्ट सिटी के लिये 50 करोड़ का बजट प्रावधानित है।नगरपालिक निगम छिंदवाड़ा को सुपर मिनी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने कानिर्णय लिया गया है। कॉलोनाइजरों की समस्याओं के निराकरण के लिये मध्यप्रदेशनगरपालिका अधिनियम में संशोधन किये गये हैं। प्रदेश में मॉडल फायर एक्ट बनाया जारहा है।

जल-संरक्षण एवं संवर्धन

राज्य सरकार द्वारा 'अक्षय जल संचय'' अभियान में सभी 378 नगरीयनिकायों को शामिल किया गया है। ग्यारह माह पहले यह अभियान मात्र 29 निकायों मेंसंचालित था। अभियान में अब तक 80 हजार से अधिक रूफवॉटर हॉर्वेस्टिंग, 10 लाख पौधोंका रोपण और 500 जल-संरचनाओं की सफाई एवं मरम्मत कराई गई।

एलईडी लाइट

नगरीय निकायों की 11 लाख पारम्परिक लाइटों को एलईडी में बदलने का लक्ष्यहै। कार्य की अवधि एक वर्ष और रख-रखाव की अवधि सात वर्ष रखी गई है। इससे विद्युतखपत में 50 प्रतिशत बचत हो सकेगी।

युवा स्वाभिमान योजना

इस योजना में करीब सवा 4 लाख हितग्राहियों का पंजीयन हुआ है। योजना कार्यक्षेत्र के 166 नगरीय निकायों में 38 ट्रेड में करीब 20 हजार हितग्राही प्रशिक्षणप्राप्त कर रहे हैं। पात्र 19 हजार 396 हितग्राहियों को 12 लाख से ज्यादा राशि कास्टाइपेंड वितरित किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री आवास मिशन (शहरी)

मुख्यमंत्री आवास मिशन (शहरी) में पट्टा वितरण की कार्यवाही की जारही है। अभी तक एक लाख 15 हजार 889 आवासीय इकाइयों के निर्माण की स्वीकृति देकरकरीब 1765 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। नगरीय क्षेत्रों में लगभग डेढ़ लाखभूमिहीन परिवारों को पट्टा वितरण की कार्यवाही प्रचलित है।

शहरी सुधार कार्यक्रम

सही वित्तीय स्थिति के आकलन के लिये सभी 378 नगरीय निकायों में से 341 मेंप्रारंभिक बैलेन्स शीट एवं सम्पत्ति और देनदारियों के रजिस्टर तैयार कराये जा चुकेहैं। सभी नगरीय निकाय इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड के रख-रखाव की ओर अग्रसर है। सभी निकायोंमें दोहरी लेखा प्रणाली से बजट तैयार करने से आंतरिक वित्तीय नियंत्रण को सुदृढ़ता केसाथ अनुदान निधियों का भी उचित प्रबंधन संभव हुआ है। जीआईएस एवं बहु-उद्देश्यीयसर्वेक्षण कर राजस्व में वास्तविक वृद्धि करते हुए 49 नगरीय निकायों का कार्यपूर्ण किया गया है। सर्वे के बाद डिमांड 61 करोड़ 46 लाख की वृद्धि हुई है, जो कुलवृद्धि का 143 प्रतिशत है। इसी तारतम्य में 119 नगरीय निकायों की भी निविदाप्रकाशित की गई है।

नयी रियल एस्टेट पॉलिसी

प्रदेश में पहली बार सभी के हित में रियल एस्टेट पॉलिसी बनाई गईहै। नई पॉलिसी में 2 हेक्टेयर से कम जमीन में भी कॉलोनी बनाने की अनुमति दी गई है।रजिस्ट्रेशन, म्यूटेशन और स्टॉम्प डयूटी सहित अन्य जरूरी कार्यों के लिये सिंगलविण्डो सिस्टम बनाया गया है। शहरों में अगले पाँच वर्ष में लगभग एक लाख 8 हजार 722करोड़ की लागत के विभिन्न विकास कार्य करवाये जायेंगे। बिल्डरों को प्रोत्साहितकरने के लिये मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने प्रदेश में पहली बार कलेक्टर गाइड लाइनके रेट में कमी की है। नजूल की एनओसी तीस दिन में देने का प्रावधान किया गया है।

वन स्टेट-वन रजिस्ट्रेशन:नई पॉलिसीमें कॉलोनाइजर्स के लिये वन स्टेट-वन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है जिसका हर पाँचसाल में नवीनीकरण करवाना होगा। लैण्ड यूज सर्टिफिकेट ऑनलाईन मिलेंगे। बड़े शहरों केपास सेटेलाईट टाउनशिप विकसित करने के साथ ही शहरों का विस्तार भी किया जायेगा।

बिल्डिंग परमिशन के लिये 27 के स्थान पर मात्र 5 डाक्यूमेंट : नईपॉलिसी में नागरिकों को अब बिल्डिंग परमिशन के लिये 27 के स्थान पर मात्र 5डाक्यूमेंट लगेंगे। चौबीस मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर स्थित कालोनियों मेंकमर्शियल गतिविधियों के लिये निर्धारित शर्तों पर अनुमति दी जायेगी। मॉर्टगेजप्लॉट को तीन चरण में मुक्त किया जायेगा। कॉलोनियों के चरणबद्ध विकास की अनुमति भीदी जायेगी। ईडब्ल्यूएस बनाने की बाध्यता नहीं होगी। इसके स्थान पर मिलने वाली राशिका उपयोग गरीबों के मकान बनाने के लिये किया जायेगा। अफोर्डेबल हाऊसिंग के लियेअतिरिक्त एफएआर की अनुमति दी जायेगी। इनवेस्टर्स को लैण्ड पूलिंग की सुविधामिलेगी। रेंटल हाऊसिंग को भी प्रोत्साहित किया जायेगा।

टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग

नगर विकास योजनाओं में शामिल शासकीय भूमियाँ प्राधिकरणों को प्राप्त होसकें, इसके लिये नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा राजस्व विभाग से समन्वय करनीति तैयार की जा रही है। लंबे समय से अक्रियान्वित योजनाओं के कारण नगर का विकासअवरुद्ध न हो, इसकी नीति भी निर्धारित की जा रही है।

नगर विकास योजनाओं तथा बेटरमेन्ट लेव्ही के माध्यम से मास्टर प्लान केप्रस्तावित मुख्य मार्गों का निर्माण किया जायेगा। लीज नवीनीकरण तथा उन्नत भूमिउपयोग के लिये शमन शुल्क अधिरोपित कर लीज डीड का नवीनीकरण किया जा रहा है।

म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम-1973 में लेण्ड पूलिंग के प्रावधानजोड़ने तथा इसके लिये नियम बनाने के लिये शीघ्र ही अधिनियम एवं नियमों में संशोधनकिया जायेगा। सभी प्रकार के पार्किंग स्थलों तथा मशीनीकृत पार्किंग की व्यवस्थाकरने के लिये म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन किया जा रहा है। अग्निशमनअधिकारी की योग्यता एवं कर्त्तव्यों को भी स्पष्ट किया जा रहा है। नयी विद्युतवाहन नीति के प्रावधानों के अनुरूप म.प्र. भूमि विकास नियम  के नियमों में प्रावधानों को जोड़े जाने कीकार्यवाही की जा रही है।

भू-खण्डीय विकास के लिये न्यूनतम क्षेत्रफल की सीमा को समाप्त करनिवेशकर्ताओं को प्रोत्साहन दिया गया है। ले-आउट अनुमोदन एवं भवन अनुज्ञा के लिये जरूरी27 दस्तावेज/एनओसी को कम कर 5 तक सीमित किया गया है। इसमें मुख्यत: ले-आउट के लियेनजूल अनापत्ति प्राप्त करना समाप्त किया गया है।

नगरीय विकास योजनाओं को जीआईएस पर तैयार करने कालक्ष्य रखा गया है। नगरों की विकास योजनाएँ तैयार करने के लिये जीआईएस स्टूडियो कीस्थापना की गई है। अब प्रदेश की समस्त विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार कीजायेंगी। अब तक 24 नगरों की विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार की जा चुकी हैं। अमृतयोजना में 5 नगरों की विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार की जा चुकी हैं। एनआरएससी हैदराबाद से 21 नगरों का सेटेलाइट डाटा प्राप्त किया गया है। प्रदेश के 16नगरों की विकास योजनाओं से संबंधित भूमि उपयोग ऑनलाइन जारी किये जा रहे हैं। चारमहानगरों के भूमि उपयोग बिना मानवीय दखल के ऑनलाइन जारी करने संबंधी कार्यवाहीजारी है।

म.प्र. मेट्रोपालिटन प्लानिंग एण्ड डेव्हलपमेंटअथारिटी एक्ट का प्रारूप तैयार है। इंदौर विकास योजना2021 में औद्योगिक भू-खण्डों के लिये भू-तल कवरेज क्षेत्र 30 से बढ़ाकर 60 प्रतिशतकिया गया है।

मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल

मण्डल की आवासीय योजनाओं के चयन के लिये प्रोजेक्ट अप्रेजल फ्रेमवर्क और रेरानियमों के परिपालन के लिये रेरा अप्रेजल फ्रेमवर्क का निर्धारण किया गया है। मण्डलकी सम्पत्ति विनियम से संबंधित नीतियों, परिपत्रों एवं गाइड लाइन में संशोधन कियागया। निर्माण कार्य में विलंब के लिये मैदानी अधिकारियों के दायित्व का निर्धारणतथा समय पूर्व कार्य करने पर अधिकारियों एवं ठेकेदारों को प्रोत्साहन देने की नीतिका प्रारूप तैयार किया गया। मण्डल आवंटियों के एक लाख 35 हजार खातों काकम्प्यूटराइजेशन किया गया है। आवंटियों की ऑनलाइन लीज एवं सम्पत्ति खातों केसत्यापन का विशेष अभियान चलाया गया। सभी वित्तीय लेन-देन ऑनलाइन किये जा रहे हैं।

वचन-पत्र

      इसके अलावा नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने पिछले12 माह में वचन पत्र के बिन्दुओं की पूर्ति के लिए प्रभावी कार्यवाही की है। विभागने अनेक वचन पत्रों को एक ही वर्ष में पूरा कर दिया। विभाग द्वारा जिन वचनों कीपूर्ति की गई है, उनमें नगरों में सिटी बसों की सेवा नगरीय निकाय के माध्यम सेप्रारंभ की जाएगी, की पूर्ति के लिए प्रथम चरण में 17 नगरीय निकाय भोपाल, इन्दौर,ग्वालियर, रतलाम, उज्जैन, देवास, खण्डवा, बुरहानपुर, भिण्ड, मुरैना, गुना, जबलपुर,कटनी, सतना, रीवा, सिंगरौली और छिन्दवाड़ा में सिटी बस संचालन के लिए निविदाएँबुलाई जा चुकी हैं। कुल 503 बसों का संचालन किया जाएगा। इनमें से 255 बसेंइन्ट्रासिटी होगी। महिलाओं के नाम से आवासीय भू-खण्ड एवं आवास आवंटित करेगें तथामृत्यु उपरान्त इनका हस्तान्तरण बेटी व बहू के नाम से करेंगे संबंधी वचन के पालनमें पात्र महिलाओं के नाम से आवासीय भू-खण्ड का पट्टा नियमानुसार आवंटित किया जारहा है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र महिलाओं को आवास आवंटित करने कीकार्यवाही की जा रही है। परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद परिवार को आवंटितआवासीय भू-खण्ड एवं आवास का हस्तान्तरण वैध उत्तराधिकारियों को करने का प्रावधान केपालन के लिये विभाग द्वारा आदेश जारी किया जा चुका है।

      सीवेज टेंक एवं नालों की सफाई के लिए आधुनिकउपकरणों का उपयोग एवं तकनीकी सहयोग प्रदान करेंगे संबंधी वचन के पालन में निकायोंको मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन से अनुदान दिया जा रहा है। सीवेज टैंक एवंनालों की सफाई कार्य में लगे सफाई कामगारों की मृत्यु पर उनके परिवार के एक सदस्यको अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिये शासन के अनुकम्पा नियुक्ति संबंधी परिपत्र कोसभी नगरीय निकायों में लागू किया गया है। सफाई संरक्षकों के पदों पर अनुकम्पानियुक्ति के प्रकरणों के निराकरण के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। शासकीयकार्यालयों एवं निकायों में दैनिक वेतन या अन्य किसी तरीके से लगे सफाई कामगारोंका नियमितीकरण करने के पालन में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त सफाई संरक्षक पदों एवंअन्य पदों पर नियुक्ति दिए जाने के निर्देश नगरीय निकायों को जारी हो गए हैं। नगरएवं ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में वर्तमान आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में संशोधन करनेके पालन में ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के साथ अनुबंध कियागया है। कार्यवाही की जा रही है।

      कांजी हाऊस को व्यवस्थित कर संचालित करनेतथा रहवासी क्षेत्रों को आवारा कुत्तों से मुक्त करने की पूर्ति के संबंध में सभीनगरीय निकायों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। नगरों में सत्ता के विकेन्द्रीकरणके लिए पूर्व में कांग्रेस सरकार ने जो कदम उठाये थे, उसे पूरा करने के पालन मेंसंबंधित विभागों से प्रत्यायोजित अधिकारों की वर्तमान स्थिति का आंकलन करने के लिएविभागीय स्तर पर बैठक करने को कहा गया है। आवासीय कालोनी के लिए 5 एकड से कम करकेएक एकड तक की भूमि पर अनुमति देंगें, के पालन में आवास एवं पर्यावास नीति 2007 कीकंडिका 5.4 को विलोपित कर दिया गया है।  

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश