Posted on 03 Sep, 2024 3:25 pm

सोच बड़ी होनी चाहिए। रास्ते अपने आप मिलते चले जाते हैं। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। ऐसे ही प्रगतिशील विचार लिये किसान रघुवीर सिंह ने पुरानी खेती-बाड़ी में कुछ नया करने का सोची। पहले कुछ संकोच भी हुआ कि यदि नये ढंग से खेती सफल न हुई, तो परिवार कैसे पालेंगे। पर रघुवीर सिंह ने जोखिम उठाया और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति से खेती करने लगे। नई सोच, नया सबेरा लेकर आती है। रघुवीर को भी अपनी प्रगतिशीलता का लाभ मिला। उन्होंने स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति से एक हेक्टेयर में लहसुन की खेती की। मात्र एक हेक्टेयर में लहसुन की फसल से ही रघुवीर सिंह को अंतत: 10 लाख रूपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। पानी की बचत हुई, सो अलग।

फसल मुनाफे की यह कहानी नीमच जिले की है। रघुवीर सिंह एक साधारण किसान हैं। नीमच के समीप आंवलीखेडा गांव में रहते हैं। गांव के अन्य किसानों की तरह पहले वे भी पुराने तौर-तरीकों से खेती करते थे। पर अब उन्होंने खेती-बाड़ी के पुराने तरीकों को त्याग दिया है। नई सोच अपनाकर वे स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली से खेती करके और किसानों के लिये नजीर पेश कर रहे हैं।

वर्ष 2022-23 में रघुवीर सिंह ने मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र के लिये उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया। 'पर ड्राप-मोर क्राप' योजना के अंतर्गत उद्यानिकी विभाग ने रघुवीर सिंह को 51 हजार रूपये का अनुदान दिया और उसके खेत में स्प्रिंकलर संयंत्र स्थापित कराने में मदद भी की। स्प्रिंकलर लगाने के बाद रघुवीर को तीन तरह से बचत होने लगी। पानी बचने लगा। सिंचाई के लिये मजदूर भी नहीं लगाने पड़े, इससे पैसों की बचत हुई। लहसुन की फसल में कीट प्रकोप की भी रोकथाम हो गई। साथ ही लहसुन की क्वालिटी भी अच्छी हुई। बड़े आकार का लहसुन उत्पादन देखकर रघुवीर सिंह गद्गद हो गये। एक हेक्टेयर में 130 क्विंटल लहसुन हुआ। नीमच मंडी में ले जाकर बेचने पर रघुवीर को कुल 13 लाख रूपये मिले। फसल लागत घटाने पर रघुवीर को अविश्वनीय रूप से 10 लाख रूपये शुद्ध मुनाफा हुआ। रघुवीर के मुनाफे से प्रेरित होकर अब दूसरे किसान भी 'स्प्रिंकलर से सिंचाई पद्धति' से जुड़ने लगे हैं। कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने में यह पद्धति बाकई कारगर साबित हो रही है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश