Posted on 29 Jun, 2024 8:51 pm

राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने चित्रकूट प्रकल्प के माध्यम से भूमिहीन कृषि श्रमिकों के लिये जो मॉडल प्रस्तुत किया है वह आत्मनिर्भर ग्रामो के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने के लिये आधारभूत प्रेरणास्रोत है। हमें आज के समय में भूमिहीन कृषि मजदूरों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये बहुआयामी प्रयास करने की आवश्यकता है।  ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने यह बात भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के आर्थिक सशक्तिकरण से कृषि प्रक्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लक्ष्य पर महात्मा गॉधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही।

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, दीनदयाल शोध संस्थान और मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद एक साथ मिलकर कर रहे है। इस संगोष्ठी में देश भर के अनेक राज्यों से विद्वान विचार-विमर्श के लिये एकत्र हुये हैं।

 भूमिहीन श्रमिकों के प्रश्न को संवेदनशीलता, प्रतिष्ठा, गरिमा और निजता से जोड़कर समाधान ढूंढने के लिये ‘आउट आफ बॉक्स’ विचार करने का आग्रह विशिष्ट अतिथि और पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय पासवान ने किया। उन्होंने कहा कि भारत विरोधी ताकतें कृषक और भूमिहीन श्रमिकों में संघर्ष देखना चाहती हैं, किन्तु हमारा प्रयास समन्वय से समाधान निकालने का होना चाहिये। हमारे प्रयास केवल आर्नामेंटल नहीं इंस्ट्रूमेंटल होना चाहिये।

संगोष्ठी के सूत्रधार और सामाजिक समरसता के राष्ट्रीय संयोजक श्यामप्रकाश  ने कहा कि पाश्चात्य चिन्तन ने हमारी दृष्टि कृषकों और भूमिहीन श्रमिकों में भेद करने का प्रयास किया है पर वस्तुतः यह दोनों एक ही हैं। 

ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. भरत मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अपने नवाचारों के माध्यम से देश में अपनी विशेष पहचान बना रहा है। नानाजी देशमुख के संस्मरणों को साझा करते हुये डॉ. मिश्रा ने कहा कि नानाजी कहते थे कि आज की परिस्थितियों में- ’गांव उजाड़ हो रहे हैं और शहर आबाद।’ विकास का यह मॉडल दूरगामी रूप से ठीक नहीं हैं। इसके परिणाम समाज और राष्ट्र के हित में नहीं होगे। प्रो. मिश्रा ने कहा कि देश को नानाजी का चिंतन एक नई दृष्टि दे सकता है। विशिष्ट अतिथि दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने नानाजी के आत्मनिर्भर गाँवों के संकल्प को साझा किया। 

विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के कार्यपालक निदेशक डॉ. धीरेन्द्र कुमार पाण्डेय एवं पूर्व अपरमुख्य सचिव एवं वर्तमान में जनजातीय प्रकोष्ठ राजभवन के संयोजक दीपक खांडेकर ने भी विचार व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र पर 13 राज्यों के भूमिहीन श्रमिकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर अध्ययन के आधार पर बनाये गये प्रतिवेदनों की पुस्तक- ‘सोशियो इकानोमिक रिपोर्ट्स आफ लैण्डलेस लेबर फ्राम वेरियस स्टेट्स’ और इस विषय पर चिन्तन आधारित विचार परक आलेखों का संकलन ‘वाइस आफ द लैण्डलेस’ पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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