Posted on 12 Nov, 2021 1:47 pm

टूटे-फूटे झोंपड़ीनुमा घर, धुँए से काली पड़ चुकी मिट्टी से बनी दीवारें और शाम होते ही घुप्प अंधेरा। चूल्हे से उठ रहे धुँए के गुबार की वजह से आँखों से झर रहे आँसू और खाँसते-खाँसते खाना पकाती घर की महिलाएँ। कुछ ऐसा ही हाल था बंटी सहरिया के घर सहित अमरगढ़ गाँव के अन्य घरों का। मगर अब स्थितियाँ बदल चुकी हैं। स्थितियां बदली तो घर की महिलाओं की सेहत भी सुधर गई और परिवार का जीवन-स्तर भी। मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल ग्वालियर जिले के प्रवास के दौरान अमरगढ़ गाँव के आदिवासी परिवारों से मिलने आए थे तब उन्होंने बंटी आदिवासी के घर भोजन ग्रहण किया था।

ग्वालियर जिले के पर्वतीय एवं वनांचल क्षेत्र में बसे विकासखण्ड घाटीगांव के ग्राम अमरगढ़ में बंटी आदिवासी रहते हैं। वे प्रदेश की सबसे पिछड़ी जन-जातियों में शुमार “सहरिया” से ताल्लुक रखते हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से सरकार ने उनके लिए पक्का घर बनवा दिया है। सरकार की सौभाग्य योजना में उनके सहित गाँव के अन्य जनजातीय परिवारों के घर में बिजली कनेक्शन भी हो गए हैं। अब शाम होते ही पूरा गाँव रोशनी से जगमगा उठता है। बंटी की धर्मपत्नी सहित गाँव की अन्य महिलाओं को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में नि:शुल्क रसोई गैस कनेक्शन मिले हैं। प्रदेश सरकार की समृद्ध पर्यावास योजना के तहत गाँव के जनजातीय परिवारों को विभिन्न प्रकार की सुविधायें मिली हैं। अमरगढ़ गाँव के 25 सहरिया जनजातीय परिवारों के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घर बने हैं। साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं में 15 प्रकार की अन्य सुविधाएँ भी उन्हें नि:शुल्क मुहैया हुई हैं।

बंटी बताते हैं कि - "सरकार से हमें पक्का घर बनवाने के लिये कुल मिलाकर एक लाख 20 हजार रूपए मिले थे। इससे हमने 300 वर्गफुट में अपना पक्का घर बनवाया है। घर में 6 रोशनदान, 2 खिड़की व 2 दरवाजे हैं। इससे पूरे घर में शुद्ध हवा आती है। हमने अपनी खुद की बचत से घर के सामने एक पक्का चबूतरा बनवा लिया है, जिस पर बैठकर हमारे घर की महिलाएँ सफेद मूसली सहित अन्य जड़ी-बूटियों को नया रूप देकर और कीमती बना रही हैं।"

बंटी का कहना है कि - "नया घर हमारे परिवार के लिए खुशियों की नई बयार लेकर आया है। सरकार ने ऐसा राशनकार्ड दिया है, जिससे मुझे एक रूपए प्रति किलो अनाज मिल जाता है। हमारे बच्चे पनिहार के छात्रावास में रहकर सरकार के खर्चे पर पढ़ाई कर रहे हैं।" अपनी खुशियों की दास्तां बयां करते – करते बंटी भावुक हो जाते हैं। उनका कहना है कि - "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रदेश के राज्यपाल हमारे घर आकर भोजन करेंगे। यह सब सरकार से मिली योजनाओं का सुफल था जिनकी चर्चा सुनकर राज्यपाल महोदय हमारे घर पधारे।"

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश