Posted on 08 May, 2020 7:20 pm

लोग कहते हैं कि सोना धरती की सतह से हजारों मीटर नीचे चट्टानों में ही मिलता है पर छत्तीसगढ़ की धरती पर हरा सोना हमारे जंगलों में जमीन के ऊपर पौधों में मिलता है। ये हरे सोने के रूप में तेंदूपत्ता वनवासियों की अमूल्य संपदा रहा है। जो ग्रामीणों के लिए आजीविका के अपार संभावनाएं ले कर आता हैं। विदित हो कि कोण्डागांव की दुर्गम चट्टानी एवं पथरीली भूमि पर जल संसाधनों के अभाव में केवल मानसूनी कृषि ही संभव हो पाती है। साल के 5 महीनों के रोजगार के पश्चात ना तो इन वन वासियों के पास ना तो रोजगार होता है ना ही आजीविका का कोई साधन। ऐसे में इन दुर्गम जंगली इलाकों में रहने वाले वनवासियों के समक्ष भोजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो इन्हें या तो कुपोषण या तो पलायन की ओर ले जाती है। इन परिस्थितियों में ग्रामीण आजीविका के लिए अपने वनों के अमूल्य संपदा वनोपजों पर ही निर्भर रहते हैं। इन्ही के विक्रय से प्रतिदिन के आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति कर पाते हैं। राज्य शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 23 प्रकार के वनोपजों की खरीदी से सभी ग्रामीण उत्साहित हैं।

इस संबंध में कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम ने बताया कि विगत दिनों ग्रामीणों के उत्साह का नजारा इमली, महुआ के संग 11 अन्य प्रकार के वनोपजों के संग्रहण में दिखा। जहां कोण्डागांव में अब तक 6 करोड़ से अधिक राशि के वनोपज का विक्रय वनवासियों द्वारा किया गया। वर्तमान में 4 मई से तेंदूपत्ता संग्रहण प्रारम्भ हुआ है। इस बार 4000 मानक बोरा न्यूनतम समर्थन मूल्य होने से संग्राहकों में विशेष उत्साह है।

तेंदूपत्ते का है विशेष महत्व

राज्य शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर 23 प्रकार के वनोपजों का संग्रहण किया जा रहा है परन्तु तेंदूपत्ते का पुरातन काल से वनवासियों के अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व रहा है क्योंकि तेंदूपत्ता वनों में चहुँओर सर्व व्याप्त है और इनमें अधिक श्रमबल की आवश्यकता होती है ऐसे में गांवों में बच्चे बूढ़े से लेकर जवान सभी मिलकर तेंदूपत्ते के संग्रहण से आय अर्जित कर पाते हैं। पूर्व में बिचैलिये के द्वारा कम दामों पर खरीदी द्वारा इन्हें ठग लिया जाता था परन्तु समर्थन मूल्य पर समितियों द्वारा खरीदी से उनको उनका हक प्राप्त हो रहा है।

जिले के 50 हजार से अधिक संग्राहकों द्वारा किया जा रहा है, संग्रहण कार्य

उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा इस बार कोण्डागांव वन प्रबंधन पर भरोसा जताते हुए इस बार 50300 मानक बोरा संग्रहण का लक्ष्य दिया है। जिसमें से लक्ष्य का आधे से अधिक के संग्रहण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। जिस पर अब तक दक्षिण कोण्डागांव वनमंडल द्वारा 21 हजार मानक बोरा के लक्ष्य के लिए विरुद्ध 4 करोड़ 55 लाख राशि द्वारा 11 हजार 3 सौ बोरे संग्रहित किये गए हैं। वहीं केशकाल वन मंडल द्वारा प्राप्त 29 हजार 3 सौ के लक्ष्य के विरूद्ध 3 करोड़ 50 लाख राशि द्वारा कुल 9810 बोरों का संग्रहण किया गया है। इस कार्य मे जिले के कुल 50 हजार से अधिक संग्राहक प्रतिदिन कार्यरत हैं। जिसमे द. कोण्डागांव वन मंडल के 27 हजार तथा केशकाल के 23 हजार 6 सौ संग्राहक कार्यरत हैं।

इस संबंध में दक्षिण वनमंडलाधिकारी उत्तम गुप्ता ने बताया कि लॉक डाउन के बाद भी इस बार तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर लोगो मे खासा उत्साह है। अभी तक हमने लक्ष्य का आधे से अधिक की खरीदी का कार्य पूर्ण कर लिया है। जल्द ही सभी को राशि उनके खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर द्वारा भेज दी जाएगी

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़