Posted on 13 Dec, 2017 2:19 pm

भोपाल : बुधवार, दिसम्बर 13, 2017
 

खण्डवा जिले के छैगांवमाखन के ग्राम बंजारी में है गरीब किसान पवन का घर। गांव के लोग इस परिवार को इसलिये नहीं जानते थे कि ये कोई धनी परिवार है, वरन् इसलिये जानते थे कि इनके दोनों बच्चे जन्म से ही न बोल सकते हैं और न सुन सकते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े हो रहे थे, पिता की चिंता भी बढ़ रही थी। बच्चों के होते हुए भी घर-आंगन सूना-सूना सा लगता था।

कहते है भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं। एक दिन ऐसा हुआ जिसकी पवन ने कल्पना नहीं की थी। स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम गांव की आंगनवाड़ी में पहुंची। भरत और प्रतिज्ञा की प्रारम्भिक जांच में टीम ने पाया कि दोनों बच्चे बोलने-सुनने में असमर्थ हैं। टीम ने उन्हें तुरन्त राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के समन्वयक से मिलने की सलाह दी। पवन दोनों बच्चों को लेकर समन्वयक से मिले। समन्वयक ने तुरन्त जिला अस्पताल के नाक, कान, गला विषेशज्ञ से मिलवाया। विषेशज्ञ ने आवश्यक जांच के लिये रेफर किया।

दोनों बच्चों का मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजनान्तर्गत आवेदन करवा कर श्री अरविंदो अस्पताल इंदौर भिजवाया गया। अस्पताल में दोनों बच्चों की सभी जांच आरबीएसके के तहत निःशुल्क की गई तथा उन्हें कॉकिलयर इम्प्लांट की सलाह दी गई। इसका अनुमानित खर्च 6 लाख 50 हजार रूपये प्रति ऑपरेशन यानि दोनों बच्चों के ऊपर 13 लाख रूपये खर्च बताया गया। प्रकरण मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को भेजा गया। क्षेत्रीय संचालक, इंदौर की संभागीय तकनीकी समिति द्वारा प्रकरण को स्वीकृति दी गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला खण्डवा द्वारा दोनों बच्चों के ऑपरेशन के लिये प्रथम किस्त 10 लाख 40 हजार रूपये अस्पताल को जारी की गई। दोनों बच्चों का कॉकिलयर इम्प्लांट का सफल ऑपरेशन हुआ।

स्पीच थैरेपी पूर्ण रूप से लेने के बाद आज पवन के दोनों बच्चे अच्छी तरह सुन और बोल पा रहे हैं। पवन आज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की सराहना पूरे गांव में करते हैं। कहते हैं कि अगर सरकार न होती तो मैं 13 लाख रुपये का बंदोबस्त कहां से करता। बंजारी गांव के लोग अब भी भरत और प्रतिज्ञा की बात करते हैं और कहते है 'अब सुनने और बोलने लगे है भरत और प्रतिज्ञा'।

सफलता की कहानी (खण्डवा)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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