Posted on 29 Aug, 2022 1:59 pm

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने "मन की बात" कार्यक्रम में कुपोषण को दूर करने के लिए दतिया ज़िले में चलाए गए "मेरा बच्चा अभियान" की सफलता पर अभियान की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा है कि क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कुपोषण दूर करने के लिए गीत, संगीत और भजन का भी इस्तेमाल हो सकता है। मध्यप्रदेश के दतिया ज़िले में "मेरा बच्चा अभियान" में इसका सफल प्रयोग किया गया। यहाँ इस अभियान के बाद न सिर्फ़ आँगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी बल्कि कुपोषण भी कम हुआ है। उन्होंने कहा कि अभियान में ज़िले में भजन-कीर्तन कार्यक्रम हुए, जिसमें पोषण गुरु कहलाने वाले शिक्षकों को भी बुलाया गया। एक मटका कार्यक्रम भी हुआ, जिसमें महिलाएँ आँगनवाड़ी केन्द्र के लिए एक मुट्ठी अनाज लेकर आती हैं और शनिवार को इसी से बाल भोज तैयार होता है।

"मेरा बच्चा अभियान"

दतिया ज़िले में बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए सितंबर 2019 से "मेरा बच्चा अभियान" चलाया गया है। अभियान में ज़िले के चिन्हित कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के प्रयास किए गए। बच्चों के कम वज़न, ठिगनापन और शारीरिक परेशानी को दूर करने के लिए पोषण के उद्देश्य से ज़िले में यह अभियान चलाया गया।

दतिया ज़िले में वर्ष 2019 में 994 अति कुपोषित और 11 हजार 604 कुपोषित बच्चे थे। वर्तमान में जिले में 217 अति कुपोषित और 836 कुपोषित बच्चे है। इन बच्चों को अधिकारी-कर्मचारियों तथा जन-प्रतिनिधियों द्वारा गोद लेकर पोषण गैप और नॉलेज गैप को कम करके कुपोषण से सुपोषण की ओर ले जाया जा रहा है। प्रत्येक तीन माह में सुपोषण मेलों में बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाता है। इसमें स्वास्थ्य और आयुष विभाग एवं जन-भागीदारी से दवाइयाँ एवं स्वच्छता तथा सुपोषण किट का वितरण किया जाता है। जो व्यक्ति या अधिकारी कुपोषित बच्चे को तीन माह में स्वस्थ बनाता है उसे "पोषण वीर सम्मान" से सम्मानित किया जाता है।

इस अभियान में जन-भागीदारी बढ़ाने के लिए पोषण मटका कार्यक्रम भी संचालित किया गया। इसमें वार्ड, गाँव की महिलाएँ अपने घर से एक मुट्ठी अनाज लेकर आती है, जो पोषण मटके में एकत्र होता है। अनाज का उपयोग शनिवार को बाल भोज के लिए किया जाता है। पोषण के प्रति जन-जागरूकता लाने के लिए पोषण गीत, भजन तथा पोषण गुरुओं का सहारा लिया गया। सभी आँगनवाड़ी केंद्र में भजनों के माध्यम से महिलाओं को एकत्रित किया गया और गीतों से हर घर तक पोषण की समझ को पहुँचाया गया। स्कूलों में भी सुबह के समय की जाने वाली प्रार्थना एवं राष्ट्र गान के बाद पोषण गुरू पोषण पर चर्चा करते हैं। आँगनवाड़ी केन्द्र में आकर महिलाओं और बच्चों को भी विस्तार से पोषण संबंधी जानकारी देते हैं। गीतों और भजनों से महिलाओं और बच्चों की आँगनवाड़ी केन्द्र में उपस्थिति बढ़ी है। साथ ही दतिया ज़िले में कुपोषण दर भी कम हुई है।

वर्तमान में अभियान में बच्चे के जन्म से पहले गर्भवती माता का ध्यान रखने संस्थागत जन्म और बच्चे को 6 माह तक केवल स्तनपान कराने आदि बातों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। दतिया ज़िले को 21 अप्रैल 2022 को लोक प्रशासन से उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

इस अभियान में ज़िले में लगभग 526 अधिकारी और जन-प्रतिनिधियों के समूह बनाए गए, जो गाँव के कुपाषित बच्चों के सुपोषित करने की ज़िम्मेदारी लेते हैं और बच्चों से संबंधित समस्याओं का समाधान करते हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश