Posted on 13 Aug, 2021 8:04 pm

खादी से बने वस्त्रों के प्रति आम लोगों को जागरूक और प्रोत्साहित करने के लिए मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा खादी वस्त्रों के साथ सैल्फी अभियान चलाया जा रहा है। सैल्फी 31 अगस्त तक mp.mygov.in/task/selfie पर भेजी जा सकती है। विभाग द्वारा तीन विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। साथ ही ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा कबीरा ब्रांड के खादी वस्त्रों पर 20+10 प्रतिशत की विशेष छूट भी दी जाएगी।

आमजन अपनी सेल्फी jpg या png. फार्मेट में नीचे कमेंट बॉक्स के साथ अपलोड कर सकते हैं। मध्यप्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की प्रबंध संचालक श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड मध्यप्रदेश के नागरिकों से अपील करता है कि खादी वस्त्र पहनकर अपनी सेल्फी भेजें और प्रतियोगिता में हिस्सा लें। साथ ही "खादी वस्त्रों को लोगों के बीच कैसे लोकप्रिय बनाया जा सकता है" और "खादी वस्त्रों के उपयोग हेतु कैसे जागरुकता बढाई जा सकती है" विषय पर अपने विचार साझा करें।

मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड ने अपने फैशनेबल और डिजाइनर खादी वस्त्रों को कबीरा ब्राण्ड के नाम से मार्केट में लांच किया है। खादी की बिक्री को बढ़ावा देने के लिये राज्य में भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर समेत अन्य बड़े शहरों में डिजाइनर खादी वस्त्रों के विक्रय केंद्र संचालित किये गए हैं। कबीरा का मुख्य उद्देश्य सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच खादी को लोकप्रिय बनाना है और उनमें स्वदेशी पोशाक के बारे में जागरुकता लाना है। आधुनिक एवं भारतीय फैशन के साथ मिलकर खादी वस्त्र एवं पारंपरिक वस्त्र निर्माण कला को एक सम्मान जनक स्थान दिलाना भी खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का लक्ष्य है।

हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से लोगों से खादी को अपने जीवन में शामिल करने की अपील की है। प्रधानमंत्री का मानना है कि जब भी हम खादी या इससे बनी हुई कोई वस्तु खरीदते हैं तो ग्रामीण बुनकरों को इसका लाभ होता है। खादी खरीदना भी एक तरह से देश सेवा ही है।

उल्लेखनीय है कि कपास की खेती सूत की कताई और बुनाई, ये तीनों चीजें विश्व सभ्यता को भारत की देन है। दुनिया में सबसे पहले भारत में सूत काता गया और कपड़े की बुनाई की गई। खादी के कपड़ों को बढ़ावा देने से लघु और कुटीर उद्योगों का विकास होगा।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश