Posted on 18 Apr, 2020 7:01 pm

कोविड-19 के विरूद्ध लड़ाई में प्रदेश में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर मास्क और सेनेटाइजर तैयार किये जा रहे हैं। अशोकनगर में आजीविका मिशन के 19 स्व-सहायता समूह की महिलाएँ मास्क और 2 समूह की महिलाएं साबुन बनाने में दिन-रात मेहनत कर रही है। इनके बनाए कॉटन मास्क रि-यूजेबल हैं। आमजन को यह 10 रुपये प्रति नग मूल्य पर उलब्ध कराये जा रहे हैं। इसके साथ ही 100 ग्राम वाले साबुन की कीमत 20 रुपये और 50 ग्राम वाले साबुन की कीमत 10 रुपये प्रति नग निर्धारित की गई है।

जिले में अब तक इन समूहों की महिलाओं ने लोगों को करीब 46 हजार मास्क और 2500 साबुन उपलब्ध कराये हैं। जनपद पंचायत, महिला-बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों को मास्क की पूर्ति की गई है। ग्रामीणों को भी यह मास्क उपलब्ध कराये गये हैं।

अनूपपुर जिले में नवांकुर संस्था द्वारा मास्क तैयार किये जा रहे हैं। जिले में जन-अभियान परिषद के सदस्यों के माध्यम से 1500 मास्क का नि:शुल्क वितरण किया गया है। परिषद के सदस्य बीमारी से बचाव के लिये ग्रामीणों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। दीवार लेखन से भी जन-सामान्य को जागरूक किया जा रहा है। मण्डला जिले में आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने पुलिस विभाग को 1500 मास्क उपलब्ध कराये हैं। इसके साथ ही 2000 से अधिक मास्क का निर्माण कर इनका वितरण जिले के विकासखण्डों में किया जा रहा हैं। होशंगाबाद जिले में इन समूह की महिलाएँ सेनिटाइजर एवं मास्क तैयार कर रही हैं। इन्होंने अब तक 78 हजार मास्क और 1200 लीटर सेनिटाइजर तैयार कर आवश्यक सेवाओं से जुड़े सरकारी महकमों के साथ जन-सामान्य को भी उपलब्ध कराये जा रहे है।

सीहोर में आजीविका मिशन से जुड़े स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने 4500 मास्क की आपूर्ति की है। इन्होने जिले में प्रमुख स्थलों पर स्टॉल्स भी लगाये हैं, जिन पर उचित दर पर मास्क तथा सेनिटाइजर की बिक्री की जा रही है। श्योपुर में समूह से जुड़ी महिलाओं ने 68 हजार से अधिक मास्क तैयार किये हैं। ये महिलाएँ सेनिटाइजर और साबुन भी बना रही हैं। इनका वितरण ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है। शाजापुर जिले में 57स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने करीब 80 हजार मास्क बनाए हैं। ये महिलाएं जन-सामान्य को सामाजिक दूरी मेंटेन करने, हाथ धुलाई और मास्क के उपयोग के बारे में भी समझाइश दे रही हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश