Posted on 12 Jun, 2020 6:01 pm

राज्यपाल श्री लालजी टंडन की पहल एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली का प्रदेश के विश्वविद्यालयों में ट्रायल वर्जन का परीक्षण कार्य तीव्र गति से हो रहा हैं। राज्यपाल के सचिव ने प्रणाली के क्रियान्वयन के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विभिन्न विश्वविद्यालयों के कार्य प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर प्रबंधन प्रणाली के संयोजक राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति श्री सुनील कुमार भी उपस्थित थे।   

राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने कहा कि एकीकृत प्रणाली में परीक्षाओं एवं अन्य कार्यों से संबंधित गोपनीयता एवं सुरक्षा की प्रभावी व्यवस्थायें की गई हैं। इनकी समीक्षा कर यह सुनिश्चत किया जाये कि व्यवस्था फूल-प्रूफ हो। इसमें लीकेज की संभावनाओं पर गम्भीरता से कार्य किया जाये। मामूली अथवा गैरमामूली किसी भी तरह की संभावना अथवा आशंका की जानकारी तत्काल साझा की जाये, ताकि परीक्षण के दौरान उसका समाधान हो।

उन्होंने कहा कि ट्रायल वर्जन का व्यापक स्तर पर परीक्षण किया जाये। प्रणाली के 78 मॉडयूल हैं। इन सभी मॉडयूलों की सभी प्रविष्टियाँ दर्ज कर उपयोग किया जाये। इसके लिए उपलब्ध अथवा काल्पनिक डाटा आवश्यकतानुसार उपयोग कर परिणाम प्राप्त किये जाये। यह सुनिश्चित किया जाये कि एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंध प्रणाली का कोई भी मॉडयूल और प्रविष्टि अपूर्ण अथवा निरंक नहीं रहे।

श्री दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यों के डिजिटल स्वरूप के निर्धारण के लिए विस्तार से विचार-विमर्श करें। इस कार्य में किसी प्रकार के नवाचार अथवा समस्या की जानकारी तत्काल साझा की जाये। विश्वविद्यालय की समग्र कार्य प्रणाली डिजिटल करने के प्रयास करें। इस तरह समस्त प्रविष्टियों का परीक्षण कर इसके परिणामों को भी संधारित किया जाये। यह कार्य व्यापक सोच और विजन के साथ किया जाये।

राज्यपाल के सचिव ने विश्वविद्वालयों के प्रभारियों के साथ वन-टू-वन संवाद कर ट्रायल वर्जन के परीक्षण में मिलने वाली समस्याओं और विश्वविद्यालयों के संचालन कार्य में होने वाली सहूलियतों के संबंध में जानकारी प्राप्त की।

कृषि विश्वविद्यालय की विशिष्ट आवश्यकताओं को अंकित किये जाने की जानकारी मिलने पर आर.जी.पी.वी विश्वविद्यालय के साथ समन्वय कर कार्यवाही करने के निर्देश दियेगये। इसी तरह डिजिटल मार्कशीट और डिग्री की भाषा के निर्धारण के संबंध में चर्चा पर डिजिटल मार्कशीट और डिग्री प्रारंभिक रूप में द्वि-भाषी होगी। भविष्य में प्रमाण पत्र की आवश्यकता अनुसार अन्य भाषाओं की आवश्यकता अनुरूप व्यवस्थाऐ की जायेगी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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