Posted on 18 Jan, 2023 6:07 pm

जी-20 के थिंक-20 कार्यक्रम में शामिल होने भोपाल आये देश-विदेश के प्रतिनिधियों को मोटे अनाज से बने आहार व्यंजन काफी पसंद आये। भोपाल के आयुष विभाग के पं. खुशीलाल वैद्य महाविद्यालय एवं आयुर्वेद संस्थान ने कुशाभाऊ ठाकरे कन्‍वेशन सेंटर में दो दिन स्टॉल लगाया था।

स्टॉल की प्रभारी डॉ. चारु बंसल ने बताया कि मोटे अनाज (मिलेट्स) रागी, कोदो, कुटकी, बाजरा, चीना, ज्वार के विभिन्न व्यंजन प्रस्तुत किये गये थे। व्यंजनों का एक आयुर्वेद थाली के रूप में प्रस्तुतीकरण किया गया। इन व्यंजनों में बाजरा लड्डू, कोदो खीर, जौ की कांटिनेंटल सलाद, जौ, ज्वार, बाजरा (मल्टीग्रेन) का दलिया, रागी चावल, सांवा वेज पुलाव, बाजरा टिक्की और 7 प्रकार के मोटे अनाज जौ, सांवा, कोदो, रागी, मक्का, ज्वार, बाजरा से तैयार रोटी, बथुआ का साग, नारियल पानी, बथुआ छाछ, मूंग की हरी-भरी चाट, विभिन्न प्रकार की चटनियाँ और अदरक, हल्दी, आंवले के अचार, रागी, शतावरी के बिस्किट, बाजरा, ज्वार, अलसी के बिस्किट और बिना शक्कर-गुड़ के बनी खजूर एवं ड्रायफ्रूट की मिठाई तथा गुड़हल के फूल का शर्बत रखा गया था। सभी व्यंजनों को विदेशी मेहमानों और भारत के विभिन्न प्रांतों से आये मेहमानों द्वारा पसंद किया गया।

सभी मोटे अनाज स्वाथ्य के लिये अत्यंत लाभदायक होते हैं, इनमें अधिक मात्रा में कई महत्वपूर्ण मिनरल्स जैसे- आयरन, कैल्शियम, जिंक, मेग्नेशियम, सेलेनियम पाये जाते हैं। साथ ही इनमें फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है। इनमें ग्लाइसेमिक्स इंडेक्स कम होता है। इन मिलेट्स के उपयोग से डायविटीज, ब्लड-प्रेशर, मोटापे एवं कैंसर से बचाव होता है। साथ ही शरीर में खून की कमी भी दूर होती है। मोटे अनाज के आहार से बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को दूर करने में भी काफी मदद मिलती है।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। इस प्रस्ताव का दुनिया भर के 70 से अधिक देशों ने समर्थन किया है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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