स्वयं, समाज तथा देश की प्रगति के लिए चिंतन आवश्यक : उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल
Posted on 24 Jun, 2024 3:37 pm
उप-मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल ने सोमवार को माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान भोपाल में पं. रामेश्वरदास भार्गव स्मृति ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ किया। उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं। ज्ञान अध्ययन और अनुभव से प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि स्वयं की प्रगति, समाज और देश की प्रगति के लिए चिंतन आवश्यक है। पुस्तकों के अध्ययन से सोच का विकास होता है। एक विषय को कई नज़रियों से देखने की समझ विकसित होती है। अगर हम किसी भी बड़ी हस्ती की जीवनी पर नज़र डालें, तो यह पता चलता है कि पुस्तकों का अध्ययन उनकी नियमित दिनचर्या में था।
संग्रहालय में समय और मांग अनुसार सुविधाओं को किया गया है विकसित
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि माधवराव सप्रे संग्रहालय द्वारा नियमित रूप से समय और मांग के आधार पर सुविधाओं को विकसित किया गया हैं। चालीस वर्ष पहले शुरू हुए संग्रहालय में आज 1 लाख 75 हज़ार से अधिक पुस्तकें हैं। संग्रहालय में डिजिटल लाइब्रेरी भी संचालित है। ई-लाइब्रेरी से छात्रों, शोधकर्ताओं को करोड़ों पुस्तकों, समाचार पत्रों और पांडुलिपियों और अन्य अध्ययन सामग्री से जोड़ा जा सकेगा। उन्होंने इन सतत् प्रयासों के लिए सप्रे संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक श्री विजय दत्त श्रीधर और प्रशासन प्रबंधन से जुड़े सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों की सराहना की। उन्होंने समाजसेवियों और विभिन्न संस्थानों द्वारा समय-समय पर संग्रहालय को प्रदान किए गये सहयोग की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है। लेखनी में बड़ी ताक़त होती है, साथ ही यह एक सामाजिक दायित्व भी है। अच्छी प्रशासनिक व्यवस्था के लिए शासन, प्रशासन और पत्रकारिता का सामंजस्य अहम है।
विभूतियों को सम्मानित किया
उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने दैनिक भास्कर के राज्य संपादक श्री सतीश कुमार सिंह को 'माधवराव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता' पुरस्कार से और "बाल पुस्तकालय" की रचनाकार कु. मुस्कान अहिरवार को 'महेश गुप्ता सृजन सम्मान' प्रदान किया। उन्होंने कहा कि अच्छा कार्य करने पर सम्मानित किया जाना गौरवशाली परंपरा है। इससे सम्मानित व्यक्तियों का हौसला बढ़ता है, साथ ही दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है। श्री सतीश सिंह ने सप्रे संग्रहालय से जुड़े अपने संस्मरण और संग्रहालय की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किए। कु. मुस्कान ने बाल पुस्तकालय के माध्यम से प्रेरणादायक पुस्तकों के अध्ययन को बच्चों के लिए रुचिकर बनाने के प्रयासों को साझा किया।
युवा पीढ़ी को पुस्तकालय से जोड़ने में यह प्रयास कारगर सिद्ध होगा- प्रो.सुरेश
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. के.जी.सुरेश ने कहा कि युवा पीढ़ी को पुस्तकालय से जोड़ने में यह प्रयास कारगर सिद्ध होगा। साथ ही पुराने अख़बार, कृतियों, पाण्डुलिपियों की सुरक्षा के साथ सुविधापूर्वक इनका अध्ययन किया जा सकेगा। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक श्री विजयदत्तश्रीधर ने संग्रहालय में किए जा रहे कार्यों और आगामी आयोजनों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संग्रहालय में पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ी विभिन्न रचनाओं की अमूल्य धरोहर संजोकर रखने का प्रयास किया जा रहा गया है। संग्रहालय में 100 से 150 वर्ष पुराने साहित्य संग्रह उपलब्ध हैं। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार, समाजसेवी और जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी उपस्थित थे।
साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश