Posted on 12 Jul, 2019 6:31 pm

प्रत्येक गाँव तक प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाना राज्य की प्राथमिकता में शामिल है। अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान (एआईजीजीपीए) के महानिदेशक श्री आर. परशुराम ने 'असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम' व्याख्यानमाला में 'काम्प्रेहेन्सिव हीलकेयर फॉर रूरल पुअर' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जन-स्वास्थ्य सहयोग संस्था के अनुभवों से अटल बिहारी बाजपेयी सुशासन संस्थान लाभान्वित होगा। इस संस्थान ने गाँवों तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाने में उल्लेखनीय कार्य किया है।

जन-स्वास्थ्य सहयोग गनयारी (बिलासपुर) के सह-संस्थापक डॉ. रमन कटारिया ने बताया कि नई दिल्ली स्थित एम्स के 6 चिकित्सकों द्वारा यह संस्थान वर्ष 1999 में स्थापित किया गया। संस्थान ने सहभागिता आधारित मॉडल पर ग्रामीण क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु कल्याण संक्रामक रोग, कुपोषण और टीबी जैसी बीमारियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान 70 ग्रामों में यह कार्य कर रहा है। संस्थान द्वारा मध्यप्रदेश के 6 जिलों में भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं को दक्ष बनाकर स्थानीय स्तर की चिकित्सीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। श्री कटारिया ने महँगी दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाओं के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बाल अवस्था में संतुलित खानापान से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है।

संस्थान के प्रमुख सलाहकार श्री एम.एम. उपाध्याय ने कहा कि जन-स्वास्थ्य सहयोग द्वारा किये गये कार्यों के परिणाम उस क्षेत्र के स्वास्थ्य सूचकों में दिखते हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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