Posted on 24 Oct, 2021 7:17 pm

ग्वालियर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पुरानी जल-संरचनाएँ तालाब, चेकडैम और स्टॉपडेम आदि की जलभराव क्षमता बढ़ाई जाएगी। ऐसी जल-संरचनाओं को चिन्हित कर जरूरत के मुताबिक जीर्णोद्धार और मरम्मत कार्य कराए जायेंगे। प्रयास ऐसे होंगे, जिससे इन जल-संरचनाओं में सिंघाड़ा और मछली पालन के साथ-साथ सिंचाई सुविधा भी बढ़े और ग्रामीणों की आमदनी में इजाफा हो।

इसके लिए हर ग्राम पंचायत में एक तकनीकी सलाहकार समिति का गठन किया जा रहा है। जिसमें उस ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, क्षेत्रीय पटवारी, क्षेत्रीय कृषि विस्तार विकास अधिकारी और क्षेत्रीय उपयंत्री सदस्य होंगे।

इसी कड़ी में जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने प्रत्येक जनपद पंचायत के सीईओ जनपद पंचायत, सहायक यंत्री , उपयंत्री सहित तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्यों को क्षेत्र में जाकर पुरानी, अनुपयोगी जल-संरचनाओं जो कि वर्तमान में उपयोगी नहीं रहीं है चिन्हांकन के निर्देश दिए हैं।

जल-संरचनाओं के चिन्हांकन के बाद जल-संरचनाओं के जीर्णोद्धार और मरम्मत का काम कराया जाएगा। इससे संबंधित ग्रामीण क्षेत्र में जल स्तर में वृद्धि होगी। साथ ही जल संरचनायें अतिक्रमण से मुक्त होंगीं। इन संरचनाओं के लिए उपयोगकर्ता समूह बनाए जायेंगे। जल संरचनाओं में 3 से 5 साल तक सिंघाड़ा उत्पादन और मत्स्य पालन के लिए भी ग्रामीणों को अधिकार दिये जाएंगे।

ग्रामीणों से अपील की गयी है कि यदि उनके क्षेत्र में ऐसी कोई पुरानी जल-संरचना है, जिसके जीर्णोद्धार, मरम्मत या अतिक्रमण मुक्त कराते हुए उसे एक उपयोगी संरचना बनाकर मत्स्य पालन, सिंघाड़ा उत्पादन या सिंचाई के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है तो वे अपने ग्राम पंचायत के प्रधान, सचिव, रोजगार सहायक या क्षेत्रीय उपयंत्री या कृषि विस्तार विकास अधिकारी, पटवारी या सीईओ जनपद पंचायत में से किसी को भी अवगत कराएँ। यदि वे उस जल संरचना में मत्स्य पालन या सिंघाड़ा उत्पादन करके आय अर्जित करने के इच्छुक हैं तो अपनी सहमति भी प्रदान करें।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश