Posted on 03 Feb, 2020 6:36 pm

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में विकास, विश्वास और सुरक्षा को पहली प्राथमिकता दी है। नई सरकार के गठन के बाद पिछले लगभग एक वर्ष में प्रदेशभर में और विशेषकर वनांचल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए जिस तेजी से काम हुए हैं, इससे इन क्षेत्रों के लोगों में विश्वास का जो वातावरण बना है इसकी बानगी हाल ही में हुए त्रि-स्तरीय आम चुनाव में देखने को मिली है। लोगों ने कई स्थानों पर इस बार के चुनाव में पिछले बार की चुनाव की अपेक्षा दोगुनी अधिक मतदान कर लोकतंत्र के प्रति आस्था दिखाई है।
प्रदेश के सुदूर नक्सल क्षेत्रों में मतदान शांति पूर्ण हुआ है। लोगों ने बिना किसी भय के मतदान किया। चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदान केन्द्रों में सुबह से मतदान केन्द्र पहुंचे। चुनाव के दौरान चुश्त दुरूस्त सुरक्षा व्यवस्था के कारण इस बार नक्सली घटनाएं लगभग नगण्य हैं। जबकि पांच वर्ष पहले 2015 में हुए पंचायत चुनाव में नक्सलियों ने बड़ी संख्या में हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दिया था। दक्षिणी बस्तर के सुरनार क्षेत्र में पिछले चुनाव के 26 प्रतिशत मतदान की तुलना में इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़कर 54 हुआ है। चिकपाल और तुमकपाल में पुलिस कैम्प खोलने के बाद मतदान के प्रतिशत में काफी वृद्धि हुई है। अति संवेदनशील मतदान केंद सुरनार में अधिकारियों के समक्ष एक लाख रुपए का एक ईनामी माओवादी डी.ए.के.एम.एस. अध्यक्ष सहित कुल 12 माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण भी किया गया। आत्मसमर्पण के बाद इनके द्वारा मुख्य धारा में शामिल होकर मतदान भी किया गया।
बस्तर रेंज के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीजापुर थाना के अंतर्गत ग्राम कड़ेनार में चुनाव प्रसार के दौरान सरपंच के प्रत्याशी के पति (भूतपूर्व सहायक आरक्षक) को अपहृत कर हत्या की एक मात्र घटना हुई है। जबकि वर्ष 2015 में बस्तर संभाग में नक्सलियों द्वारा 53 घटनाओं को अंजाम दिया गया था, इनमें कांकेर और सुकमा जिले में मतदान दलों के उपर हमला, कांकेर जिले में सुरक्षा बलों पर फायरिंग की तीन घटनाएं हुई, दंतेवाड़ा जिले में एक चुनाव प्रत्याशी की हत्या और दंतेवाड़ा में 2, कांकेर में 10, कोण्डागांव में 5 और सुकमा जिले में 30 स्थानों पर मतपेटी लूटने की घटनाएं हुई थी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़

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