Posted on 13 Aug, 2019 11:48 pm

राज्य सरकार अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों को गैर लाइसेंसी साहूकारों के कर्ज से मुक्ति देने के लिये अध्यादेश लायेगी। इस संबंध में आज यहाँ जनाधिकार कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से  अध्यादेश के मुख्य प्रावधानों की जानकारी कलेक्टरों को दी गई। 

मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कलेक्टरों को निर्देश दिए कि मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान सिर्फ बड़े जिलों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इसे सभी जिलों में सघनता से चलायें। जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सुधारों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। नई कार्य-संस्कृति विकसित करनी होगी। लापरवाही और ढिलाई प्रदेश के हित में नहीं है। इसलिये सोच बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 'आपकी सरकार-आपके द्वार' कार्यक्रम में जनता से जिलों के प्रशासन का फीडबैक मिलता रहता है। उन्होंने कहा कि जिलों में यह सुनिश्चित करें कि अधिकारी आम जनता के लिये उपलब्ध रहें।

मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों और सभी जिला अधिकारियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला स्तर पर निराकृत होने वाली शिकायतें हर हाल में जिला स्तर पर ही हल हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता की शिकायतों का निराकरण संतोषजनक होना चाहिए। नकारात्मक निराकरण से समस्याएँ फिर से सामने आ जाती हैं। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार के प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज करने पर ध्यान दें। बाढ़ पीड़ितों को राशि का भुगतान जल्दी करें।

आदिवासी परिवारों से जबर्दस्ती कर्ज वसूली पर रखें निगरानी

अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय परिवारों पर साहूकारी ऋण विमुक्ति अध्यादेश लाया जायेगा। इसके अनुसार 15 अगस्त 2019 तक जनजातीय बंधुओं पर साहूकारों के जितने कर्ज हैं सबसे उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। उनकी गिरवी रखी सम्पत्ति भी उन्हें वापस मिल जाएगी। ऐसे परिवारों पर जो बकाया कर्ज है उसकी जबरन वसूली करने पर सजा और जुर्माना होगा। तीन साल की सजा होगी और एक लाख रूपये तक का जुर्माना देना पड़ेगा।

सभी कलेक्टरों को निर्देश दिये गये हैं कि वे अपने जिलों के अनुसूचित क्षेत्रों में ऐसे जनजातीय परिवारों और साहूकारों पर नजर रखें। कोई भी साहूकार जबर्दस्ती कर्ज वसूली न कर पाये। ऐसे गैर लाइसेंसी साहूकारों की जानकारी भी मंगाई जा रही है।

इसके अलावा मध्यप्रदेश अनुसूचित क्षेत्रों में साहूकारी विनियम 1972 में संशोधन का अध्यादेश भी राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिये भेजा जा रहा है। अनुसूचित क्षेत्रों में वित्तीय साक्षरता बढ़ाने का अभियान चलाया जायेगा। जन-धन खातों में ओवरड्राफ्ट की सुविधा का लाभ उठाने के लिये प्रेरित किया जायेगा। इसके बारे में पूरी जानकारी दी जायेगी। आदिवासी परिवारों को रुपे कार्ड जारी किये जायेंगे। यदि पहले से उनके पास हैं और क्रियाशील नहीं हैं तो उन्हें क्रियाशील बनाया जायेगा।

दो पटवारी, नायब तहसीलदार, रेंज आफिसर निलंबित

मुख्यमंत्री ने कटनी के श्री राजेश भास्कर, जबलपुर के श्री जितेन्द्र सिसोदिया, भोपाल की श्रीमती पूजा सिलावट, रतलाम के श्री शादाब खान, नरसिंहपुर के श्री ब्रजेश पटेल, छिन्दवाड़ा के श्री सौरभ कन्हारिया, उज्जैन के श्री राम कुमार, भिंड के श्री वैष्णव बघेल, होशंगाबाद के श्री अमर सिंह सराठे, दतिया के श्री राम कुमार और टीकमगढ़ के श्री यज्ञ दत्त शर्मा के प्रकरणों का समाधान किया।

कटनी के श्री राजेश भास्कर ने शिकायत की थी कि क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के मामले में 46 मजदूरों को मजदूरी के भुगतान में देरी हुई। इस मामले में रेंज आफिसर को निलंबित कर दिया गया और एसडीओ वन पर विभागीय जाँच के निर्देश दिए गए हैं।

इसी प्रकार नरसिंहपुर के श्री ब्रजेश पटेल सहित 297 किसानों को भारत सरकार की फसल प्रोत्साहन योजना में गेहूँ उत्पादन के लिये प्रोत्साहन राशि में विलम्ब हुआ था। इस मामले में कृषि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है। दतिया के श्री रामकुमार के नामांतरण के प्रकरण में छह साल की देरी होने पर दो पटवारियों और नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया है। व्ही.सी. में मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहंती एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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