Posted on 15 May, 2020 3:30 pm

कोरोना संक्रमण के नाजुक दौर में मरीजों के बेहतर इलाज के साथ-साथ उनकी देखरेख में लगे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और अन्य शासकीय कर्मी अपने कर्त्तव्यों के प्रति समर्पण भाव से जुट कर मरीजों में अपनत्व का भाव जगा रही हैं। सकारात्मक नजरिया मरीजों को स्वस्थ करने में अहम भूमिका निभा रहा है।

महिला डॉक्टर्स, नर्सेस और अन्य महिलाओं कर्मचारी अपने नौनिहाल बच्चों से दूर रहकर मरीजों को स्वस्थ करने में जुटी हैं। नरसिंहपुर जिला अस्पताल में कार्यरत नर्सेस मीना अहिरवार, सीमा पटेल, सुमन उमरेटे, पल्लवी दुपारे, पूजा जाटव, पूजा कहार और किरण बोपचे ऐसे कई नाम हैं जो अपनी ड्यूटी पूरे उत्साह और सुरक्षा संसाधनों के बीच अपने कर्त्तव्यों को निभा रही हैं। कोविड वार्ड के दवा वितरण कक्ष में तैनात रीता ठाकरे न केवल मरीजों को दवाईयाँ देती हैं बल्कि मरीजों को जरूरी सावधानियाँ बरतने की समझाईश भी देती हैं। यासमीन मसीह का कहना है कि सेवा और समर्पण तो नर्सिंग पेशे का मूल मंत्र है। हम सभी की कोशिश रहती है कि मरीजों को बेहतर सेवा मिले और वे जल्दी स्वस्थ होकर अपनों के बीच पहुँचे। गोटेगाँव ब्लाक के श्रीनगर स्वास्थ्य केन्द्र में कार्यरत प्रियंका बिसेन का कहना है कि उनका तीन साल का बेटा बारासिवनी में हैं, किन्तु ड्यूटी में व्यस्त होने से उसे ला नहीं पा रहे। उनका कहना है कि अपने बेटे से तो फिर मिल लेंगे, यदि किसी मरीज को हम ठीक करा लेंगे तो यह सबसे बड़ा काम होगा।

मुरैना में कोरोना महामारी विशेषज्ञ डॉ. अल्पना सक्सेना अपने पाँच साल के बेटे को अपने माता-पिता के घर झाँसी में छोड़ आई हैं। डॉ. सक्सेना ने संकल्प लिया है कि इस महामारी की लड़ाई खत्म करने के बाद घर वापस जायेंगी। इन्होंने बताया कि मुरैना जिला में कोरोना वायरस के केसों की समीक्षा करना, प्रभावितों की मदद करना, पॉजीटिव मरीजों के उपचार में कोई कमी तो नहीं है, इसके लिए विभिन्न विभागों से समन्वय बनाकर पॉजीटिव मरीज को हर हाल में बचाने के सभी तरह के जतन करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है।

हरदा जिले के सिराली तहसील में पटवारी के पद पर कार्यरत लक्ष्मी अहिरवार अपने छह साल के बेटे को पति के पास छोड़कर रोजाना अपनी ड्यूटी निभाने निकल पड़ती है। श्रीमती अहिरवार के कार्यक्षेत्र में तीन ग्राम कालकुंड, डगांवा, और भटपुरा हैं। पिछले दिनों भटपुरा गाँव में तीन कोरोना संक्रमित मरीज पाये गये। जिससे गाँव को कंटेनमेंट एरिया घोषित कराने के बाद पूरी तरह लॉकडाउन कराया और चेकपोस्ट की निगरानी भी की जा रही हैं। कंटेनमेंट एरिया बनाए जाने पर गाँव के लोग इन्हें फोन पर जरूरी वस्तुओं की माँग करते हैं और कोटवार एवं संबंधित टीम के माध्यम से समस्याओं का समाधान भी करवा रही है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश