अब खुद के पक्के घर में रहते हैं अशोक
Posted on 21 Jul, 2024 5:47 pm
कभी बो दौर भी था, जब अशोक घांस की एक टूटी-फूटी झोपडी में रहा करते थे। ओला-पाला हो, हाड़ गलाने वाली सर्दी हो, चिलचिलाती धूप हो या घनघोर बारिश, झोपडी में रहना ही अशोक ने अपना नसीब मान लिया था। पर नसीब सबका बदलता है, अशोक का भी बदल गया। अब अशोक खुद के पक्के घर में रहने का सुख पा रहे हैं। और यह संभव हुआ है प्रधानमंत्री जन-मन की आवास योजना से।
कहानी शिवपुरी जिले की है। शिवपुरी ब्लॉक की मोहनगढ़ ग्राम पंचायत निवासी अशोक सहरिया मजदूरी करके बमुश्किल अपना घर चला पा रहे थे। ऐसे में पक्का मकान बना पाना उसके लिये सपना ही था। इसलिए अशोक अपने परिवार के साथ एक छोटी सी कच्ची झोपडी में रहकर जैसे- तैसे जीवन-यापन कर रहे थे। पिता के गुजर जाने के बाद अशोक के ऊपर दुखों और जिम्मेदारियों का पहाड़ टूट पड़ा। ऐसे में पक्का घर बनवाने की सोचना उसने छोड़ ही दिया था। कच्ची झोपडी होने के कारण बरसात में अशोक की झोपडी में अनाज भीग जाता था, सर्दी-गर्मी में भी पूरे परिवार को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। पर अशोक के पास इतनी सारी परेशानियों को झेलने के अलावा कोई चारा न था।
अशोक के ऐसे बुरे हालातों के दौरान ही प्रधानमंत्री ने पीएम जन-मन योजना की शुरुआत हुई। इस योजना में विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र कल्याण की चिंता की गई है। योजना के तहत सहरिया परिवारों को सरकार की विभिन्न योजनाओें का लाभ देने के लिये शिवपुरी जिला प्रशासन ने सर्वे कराया। एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक साथ एक लाख से अधिक आवास हितग्राहियों के बैंक खाते में पहली किश्त डालकर सभी विशेष पिछड़ी जनजातियों के हितग्रहियों को पक्का घर बनाकर देने के महा अभियान की शुरुआत कर दी।
अशोक को भी पीएम जन-मन योजना में पक्का घर मिल गया। अशोक को पक्के घर के साथ-साथ अपने ही घर में काम करने की मनरेगा से 90 दिन की मजदूरी भी मिली। इससे अशोक को मजदूरी के लिए बाहर भी नहीं जाना पड़ा। अशोक का परिवार अब बेहद खुश है। अब वे पक्की छत के नीचे रह पा रहे है, बारिश की परेशानी भी अब हमेशा के लिये दूर हो गई है। अशोक और उसका परिवार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बार-बार धन्यवाद जताया है। अशोक कहते हैं पक्के घर के हमारे सालों पुराने सपने को प्रधानमंत्री श्री मोदीजी ने अपना सपना मानकर पूरा कर दिया है।
साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश