Posted on 02 Jul, 2019 7:25 pm

राज्य सरकार ने वर्तमान सत्र से पद्म पुरस्कारों के नामांकन की प्रक्रिया को गृह विभाग की वेबसाइट http://home.mp.gov.in/ पर ऑनलाइन कर दिया है। पद्म पुरस्कार मॉड्यूल को ऑपरेट करने के लिये सभी जिला कलेक्टरों को गृह विभाग ने लॉग-इन पासवर्ड उपलब्ध करवाये हैं। नामांकन प्रेषित करने की अंतिम तिथि एक अगस्त 2019 निर्धारित की गई है। इस व्यवस्था से श्रेणीवार आवेदन सरलता और सतर्कता से किये जा सकेंगे, प्रस्तावक रिमार्क कर सकेंगे और मॉनिटरिंग भी आसानी से की जा सकेगी।

जिलों में चिन्हित व्यक्तियों का पद्म अवार्ड के लिये नामांकन लॉग-इन पासवर्ड का उपयोग कर निर्धारित प्रारूप में विभाग को प्रेषित होगा। गृह विभाग‍ने मॉड्यूल का ऑनलाइन फ्लोचार्ट भी जारी किया है। इसकी सहायता से पद्म पुरस्कारों के नामांकन विभागीय वेबसाइट पर सरलता से प्रेषित किये जा सकेंगे।

ऑनलाइन प्रक्रिया में चिन्हित प्रतिभागियों के नामांकन भरते समय भारत सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप में अपेक्षित साईटेशन, प्रतिभागियों द्वारा अपने क्षेत्र में एवं समाज के लिये किये गये योगदान का विवरण, हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में भरा जाना है। इससे पद्म पुरस्कारों के‍लिये नामांकनों को चयनित करने एवं ऑनलाइन ही भारत सरकार को भेजे जाने की प्रक्रिया सरल, सुगम एवं समयबद्ध स्वरूप में पूरी की जा सकेगी।

पद्म पुरस्कार प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित किये जाने वाले भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है। ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं। 'पद्म विभूषण' असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये, 'पद्म भूषण' उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा के लिये और 'पद्म श्री' प्रतिष्ठित सेवा के लिये दिया जाता है। पद्म पुरस्कार समिति द्वारा की गई अनुशंसाओं के आधार पद्म पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। समिति की सिफारिशें अनुमोदन के लिये प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाती हैं।

वर्तमान में यह प्रक्रिया जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक मेन्युअल प्रोसेस से पेपर कापी द्वारा की जाती रही है। इससे जिला स्तर पर पद्म पुरस्कारों के नामांकन प्राप्त करने, जिला कलेक्टरों की समीक्षा के बाद नामांकनों को शासन को भेजने, शासन स्तर पर छानबीन समिति द्वारा समीक्षा करने और इसके बाद भारत सरकार को नामांकन प्रस्ताव प्रेषित करने में अवांछनीय विलम्ब अथवा त्रुटि की संभावना बनी रहती थी। नई प्रक्रिया के अपनाने से त्रुटि की संभावना नगण्य होगी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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