Posted on 03 Mar, 2022 6:06 pm

आजादी के अमृत महोत्सव में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा 4 एवं 5 मार्च को जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान (वाल्मी) में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो ने कहा कि कार्यशाला को केन्द्रीय महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी वर्चुअली संबोधित करेंगी। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि होंगे। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय महिला-बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुजपार महेन्द्र भाई तथा सचिव केन्द्रीय महिला-बाल विकास श्री इन्देवर पाण्डेय भी उपस्थित रहेंगे।

श्री कानूनगो ने बताया कि दो दिवसीय कार्यशाला में 26 राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के बाल आयोगों के अध्यक्ष, सदस्य और सदस्य सचिव शामिल होंगे। कार्यशाला में अलग-अलग विषयों पर चर्चा की जायेगी। इसमें बच्चों में नशे की लत और उसके नुकसान को रोकने के लिये नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो एवं राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की कार्य-योजना की समीक्षा राज्य बाल आयोगों के समक्ष की जायेगी। इसके अतिरिक्त देश के सात हजार से अधिक बाल गृहों की डिजिटली मॉनीटरिंग की जा सके, इस उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा मॉनीटरिंग एप फॉर सीमलैस इन्सपेक्शन (MASI) तैयार किया गया है। इसका सीडब्ल्यूसी के माध्यम से प्रसार पर सत्र होगा। श्री कानूनगो ने बताया कि इसके अतिरिक्त शिक्षा के अधिकार कानून के क्रियान्वयन में पंचायत राज संस्थानों की भूमिका पर हैंड-बुक के प्रकाशन के लिये विमर्श, शाला त्यागी बच्चों को मेनस्ट्रीम में लाने के लिये नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट एवं स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर्स, जो शिक्षा के अधिकार कानून की धारा-4 के अंतर्गत आते हैं, पर आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर चर्चा, बाल मजदूरी समस्या, विमुक्त एवं घुमक्कड़ जनजाति के बच्चों की शिक्षा, किशोर न्याय अधिनियम के तहत जुवेलाइल जस्टिस एक्ट में धारा-51 में फिट फैसिलिटी डिक्लरेशन पर विचार-विमर्श होगा।

श्री कानूनगो ने बताया कि कार्यशाला में पॉक्सो एक्ट के तहत पीड़ित को मुआवजा देने पर राज्य आयोगों से चर्चा, बाल यौन शोषण के विरुद्ध जागरूकता पर भी विचार-विमर्श किया जायेगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा देश भर की न्योनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट, पीडियाट्रिक यूनिट, बच्चों के इलाज पर उपयोग होने वाले उपकरणों, उनकी एएमसी, डॉक्टरों और नर्सों की संख्या आदि की रिपोर्ट तैयार की गई है, उस पर भी समीक्षा की जायेगी। देश भर के दिव्यांग बच्चों की स्क्रीनिंग, जो राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से होती है, उनको मिलने वाले उपकरणों, पेंशन आदि को ट्रेक किये जाने के लिये एमआईएस तैयार किया गया है, उस पर भी राज्य आयोगों के समक्ष चर्चा की जायेगी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश