Posted on 08 May, 2020 9:27 pm

महंगी और सेहत के लिए हानिकारक रासायनिक खाद की बजाय सस्ती और सेहत व पर्यावरण के लिए अच्छी जैविक खाद के निर्माण और उपयोग की तरफ सुकमा जिले के किसान लगातार बढ़ रहे हैं। कृषि विभाग के मार्गदर्शन में सुकमा जिले में गौठानों के साथ ही किसानों द्वारा घर की बाड़ियों में भी वर्मी और नाडेप कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है।

            रासायनिक खाद के लगातार बढ़ते उपयोग के बाद उसके खतरनाक प्रभाव को देखकर पूरा विश्व चिंतित है। रासायनिक खाद के उपयोग के कारण बंजर होते जमीन ने किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है। रासायनिक खाद के उपयोग के कारण मानव शरीर और संपूर्ण पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा जैविक खाद के उपयोग को बढ़ाने के लिए घुरवा कार्यक्रम के तहत वर्मी कम्पोस्ट और नाडेप कम्पोस्ट के निर्माण पर जोर दिया गया। मिट्टी और जल के प्रदूषण में रासायनिक खाद की अहम भूमिका होती है, वहीं रासायनिक खाद के उपयोग से अन्न बेस्वाद होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। स्वास्थ्य के प्रति लोगों की बढ़ती जागरुकता के साथ-साथ जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग व जैविक खाद की कम लागत भी किसानों को फायदा पहुंचा रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा गांवों में आंवारा घुमते पशुओं के कारण किसानों को होने वाली परेशानी से राहत दिलाने के लिए गांव-गांव में गोठान बनाने का अभियान प्रारंभ किया गया। इसी कड़ी में सुकमा जिले में भी 23 गोठानों का निर्माण किया जा चुका है और 56 गोठानों का निर्माण प्रगति पर है। इन गोठानों में पशुओं के मलमूत्र को एकत्रित कर अच्छी गुणवत्ता का वर्मी कम्पोस्ट और नाडेप कम्पोस्ट स्थानीय स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है। यह जैविक खाद रासायनिक खाद की तुलना में सस्ता होने के साथ ही पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को सुकमा जिले में भलीभांति क्रियान्वित करने में उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विगत 22 वर्षों से विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे श्री लखमा इस क्षेत्र से भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने अपने अनुभवों का उपयोग इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन में किया और क्षेत्र के जनता की मांग और आवश्यकताओं को देखते हुए गौठान निर्माण के लिए प्राथमिकताएं तय कीं। उन्होंने लोगों को इस योजना से जुड़ने के लिए भी लगातार प्रेरित किया। छत्तीसगढ़ शासन के इस महात्वाकांक्षी घुरवा कार्यक्रम को बेहतर ढंग से जिले में क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी कलेक्टर श्री चंदन कुमार द्वारा उठाई गई और ग्राम गौठान समिति व स्वसहायता समूह के सदस्यों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें निरंतर प्रेरित करने का कार्य किया। कलेक्टर की पहल से प्रेरित स्वसहायता समूह की सदस्यों ने अच्छी गुणवत्ता की जैविक खाद तैयार की, जिसका उपयोग वन एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा किया जा रहा है।

           उद्यानिकी और वन विभाग द्वारा अच्छे दर पर वर्मी और नाडेप कम्पोस्ट खरीदने के कारण स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी अधिक लाभ हो रहा है। इन विभागों को 12 रुपए प्रति किलो की दर पर वर्मी कम्पोस्ट और 7 रुपए प्रति किलो की दर पर नाडेप कम्पोस्ट उपलब्ध कराया जा रहा है। इन विभागों को 23 गोठानों में निर्मित 163.93 क्विंटल नाडेप कम्पोस्ट और 22.47 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री स्वसहायता समूहों द्वारा अब तक की जा चुकी है। इसके साथ ही किसानों को भी उचित दर पर वर्मी और नाडेप कम्पोस्ट उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि स्वसहायता समूहों द्वारा खाद की पैकिंग, भरण और पुनर्भरण का कार्य लगातार किया जा रहा है और वन व उद्यानिकी विभाग को 73.43 क्विंटल वर्मी खाद और 440.07 क्विंटल नाडेप खाद की आपूर्ति तथा सहकारी समितियों के माध्यम से विक्रय का अनुमान है। वर्मी व नाडेप कम्पोस्ट के निर्माण से ग्राम गोठान समिति व स्वसहायता समूह के सदस्य काफी उत्साहित हैं। इसके साथ ही गांव के दूसरे किसानों को भी जैविक खाद तैयार करने की प्रेरणा मिल रही है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को स्वयं की बाड़ियों में भी नाडेप और वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और 23 ग्रामों में 1110 किसानों के यहां 1110 नाडेप टांका और 418 वर्मी बेड बनाए गए और 1885 क्विंटल नाडेप खाद व 576 क्विंटल वर्मी खाद का निर्माण किया गया, जिसकी कीमत 19.90 लाख रुपए है। जैविक खाद के निर्माण और उपयोग के लिए प्रेरित हो रहे किसानों को देखकर कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उत्साहित हैं और इस कार्यक्रम को अधिक गति देने पर जोर दिया जा रहा है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़